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Showing posts from October, 2020

मन में पाप होना

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B. A. Manakala यदि मैं अपने मन में अधर्म को संजोए रखता , तो प्रभु मेरी न सुनता। भजन 66:18 ऊपर दी हुई तस्वीर एक ड्यूरियन फल ( Durian Fruit) की है। यह बाहर से काँटेदार और बदसूरत दिखता है। लेकिन यह फल अन्दर से सुन्दर और खाने में स्वादिष्ट है। लोग इसे इसलिए खरीदते हैं क्योंकि यह दिखने में सुन्दर न होते हुए भी अन्दर से स्वादिष्ट होता है। जब हम लोगों को देखते हैं , तो हम केवल उनका बाहरी रूप ही देख पाते होंगे , जो कि उनका वास्तविक रूप नहीं होगा। कुछ लोगों का बाहरी रूप अच्छा दिखाई दे सकता है ; और कुछ लोगों का बाहरी रूप बहुत आकर्षक नहीं भी हो सकता है। हममें से सभी को शायद यह परखना भी नहीं आता होगा कि हर व्यक्ति के मन में क्या है। विडम्बना यह है , कि कभी-कभी हम स्वयं ही यह देख नहीं पाते हैं कि हमारे अपने मन के अन्दर क्या है। इसलिए , दाऊद ने एक बार प्रार्थना की: ' परमेश्वर , आप देखिए कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं , जो आपको अप्रसन्न करे ' ( भजन 139:24)। हमें अक्सर परमेश्वर और दूसरे लोगों की ज़रूरत होती है जो हमें यह पहचानने में मदद करते हैं कि हममें क

प्रार्थना में स्तुति करना

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B. A. Manakala मैंने अपने मुँह से उसे पुकारा , और उसका गुणानुवाद मेरी जीभ से हुआ। भजन 66:17 अभी कुछ ही समय में , हमारे परिवार में हमने एक साथ बैठकर एक दूसरे व्यक्ति के गुणों के बारे में बात करने का फैसला किया। यह हमारे आपस में एक घनिष्ठ सम्बन्ध बनाता है। हम अक्सर दूसरे लोगों की अच्छाइयाँ ढूँढ़ने के बजाए उनकी गलतियाँ निकालना अधिक पसन्द करते हैं। किसी तरह से यह मनोभाव परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध में भी प्रकट होता है। हम साधारण तौर पर परमेश्वर को सिर्फ एक प्रबन्ध करने वाले के रूप में ही सोचते हैं। कम से कम जितनी बार हम प्रार्थना करते हैं , उतनी बार परमेश्वर हमें उनकी स्तुति करते हुए सुनना पसन्द करते हैं। भजनकार ने प्रार्थना में स्तुति करने को शामिल किया (भजन 66:17)। परमेश्वर ही सबसे अधिक स्तुति के योग्य हैं (भजन 145:1)। जितनी बार सम्भव हो अक्सर दूसरे लोगों की प्रशंसा और परमेश्वर की स्तुति करना सीखना अच्छा है। यह भी एक सबसे उत्तम बात है कि यदि दूसरे लोग आपकी प्रशंसा आपकी योग्यता के अनुसार नहीं भी करते हैं तो भी हम आगे बढ़ना सीखें। जब दूसरे लोग आपकी प्रशंसा

दूसरे लोगों को बताएँ

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B. A. Manakala हे परमेश्वर का भय मानने वालो , सब आकर सुनो: मैं बताऊँगा कि उसने मेरे लिए क्या क्या किया है। भजन 66:16 मैं किसी ऐसे व्यक्ति को जानता हूँ जो मेरा ध्यान परमेश्वर की ओर लगा देते हैं , जब भी मैं उनसे बातचीत करता हूँ। इसलिए , मुझे उनसे बातचीत करना बहुत पसन्द है। मनुष्य अपने मन की बात दूसरे लोगों से बिना कहे और बिना बाँटे नहीं रह सकते। इसी तरह ही परमेश्वर ने उन्हें आरम्भ से बनाया। परन्तु एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि हम क्या बाँटते हैं। ऐसा न सोचें कि हम केवल शब्दों के द्वारा ही दूसरे लोगों से बात करते हैं। हम हमेशा अपने जीवन के माध्यम से हमारे आस-पास के लोगों से बात करते हैं! भजनकार यहाँ कहता है , ' मैं आपको बताऊँगा कि परमेश्वर ने मेरे लिए क्या क्या किया है ' ( भजन 66:16)। परमेश्वर के बारे में दूसरे लोगों को बताना जीवन भर का हमारा कर्तव्य है। आपकी बातचीत सदैव अनुग्रहमयी और आकर्षक रहे (कुलु 4:6)। जब भी आपको कोई अवसर मिलता है तो आप लोगों को क्या बताते हैं ? हम हमेशा अपने आस-पास के लोगों को कुछ सन्देश देते रहते हैं ; केवल वही स

सबसे उत्तम भेंट चढ़ाना

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B. A. Manakala मैं तुझे मोटे मोटे पशुओं की होमबलि मेढ़ों की धूप के साथ चढ़ाऊँगा ; मैं बैलों और बकरों की बलि चढ़ाऊँगा। भजन 66:15 एक बार एक व्यक्ति प्रार्थना सभा में शामिल हुआ। जब भेंट अर्पित करने का समय आया तो वह इतना दुखी था क्योंकि अर्पण करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। अंत में , उन्होंने अपने हाथ की घड़ी को उतारकर उसे भेंट की पेटी में डाल दिया। परमेश्वर हमें कभी भी कुछ भी भेंट देने के लिए दबाव नहीं डालेंगे , तो फिर सबसे उत्तम भेंट चढ़ाना तो दूर की बात है। हमें यह भी ध्यान देना चाहिए कि कोई भी सीधे परमेश्वर को कुछ भी नहीं दे सकता है , परन्तु वो भेंट लोगों के माध्यम से परमेश्वर को दिए जाते हैं। इसलिए , सही मनोभाव से भेंट देने और प्राप्त करने के लिए स्वेच्छा से तैयार रहें। केवल वो सब कुछ लेते ही न रहें जो आपको दिए जाते हैं ; केवल उन्हीं वस्तुओं को ही न देते रहें , जिनकी आपको अब आवश्यकता नहीं है। इससे पहले कि हम परमेश्वर को या अन्य लोगों को कुछ भेंट दें , परमेश्वर ने हमें जो उपहार दिए हैं , उसके बारे में विचार करने में हमें बहुत मदद मिलेगी। आप अपनी भेंटों

संकट में मन्नत मानना

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B. A. Manakala वो पवित्र मन्नतें , जो संकट के समय मेरे होठों ने मानी और मेरे मुँह ने कहीं। भजन 66:14 एक माँ ने बताया "जन्म के कुछ ही दिनों के भीतर मेरा बेटा गम्भीर रूप से बीमार हो गया था। मैंने प्रभु से एक प्रतिज्ञा की , कि अगर परमेश्वर मेरे बच्चे को बीमारी से चंगा करेंगे , तो वह प्रभु की सेवा के लिए अलग किया जाएगा"। जैसा कि हम इस भजन में देखते हैं कि जब हम संकट में पड़ जाते हैं , तब हमारी यह प्रकृति होती है कि हम परमेश्वर से प्रतिज्ञा करते हैं (भजन 66:14)। और यह शायद संकट में से बाहर निकलने का एक अच्छा तरीका है। शायद , जैसे कि किसी से प्रतिज्ञा करवाने , परमेश्वर की आज्ञा मानने या परमेश्वर की योजना उनके जीवन में पूरा करने के लिए , कभी-कभी परमेश्वर समस्याओं का कुछ इस तरह से उपयोग करते होंगे। हमारे लिए यह बेहतर होगा कि समस्याओं का इंतज़ार न करते हुए जब कभी प्रभु हमसे चाहें हम प्रभु से प्रतिज्ञाएँ करें। यह भी स्मरण रखें कि मन्नत मान कर उसे पूरी न करने की अपेक्षा मन्नत का न मानना ही अच्छा है (सभो 5:5)। आप इस बात को कैसे महसूस कर पाएँगे कि परमेश्वर

हमारे बलिदान

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B. A. Manakala मैं होमबलि लेकर तेरे भवन में आऊँगा ; मैं तेरे लिए अपनी उन मन्नतों को पूरी करूँगा। भजन 66:13 एक बार मेरे एक जन्मदिन पर मेरे छोटे बेटे ने आकर मुझसे कहा , " पप्पा , मेरे पास आपके लिए एक विशेष उपहार है"। उसने मुझे कागज़ का एक फटा हुआ टुकड़ा सौंप दिया। आज , मुझे नहीं पता कि उसका वो उपहार कहाँ है। लेकिन उसमें लिखे संदेश को मैं कभी नहीं भूल सकता: "पप्पा , मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ"। हो सकता है कि हममें से कुछ लोगों ने परमेश्वर को बहुत सी चीज़ें भेंट की हों। प्रभु से की गई मन्नतों को पूरा करना महत्वपूर्ण है (भजन 66:13) ; परन्तु यह और भी अधिक महत्वपूर्ण है कि यह प्रेम से किया जाए। भेंट की उत्तमता और अधिकता की तुलना में मनोभाव अधिक महत्वपूर्ण है। परमेश्वर हर्ष से देने वाले से ही प्रेम करते हैं (2 कुरि 9:7)। परमेश्वर के लिए अपने बलिदान के बारे में सोचें और उसे अपने मनोभाव पर प्रकट करें। हम अपनी भेंटों के द्वारा परमेश्वर को क्या संदेश देते हैं ? परमेश्वर के लिए अनिच्छा से भेंट न चढ़ाते हुए , सर्वश्रेष्ठ ही अर्पित करें! प्

आग और जल के द्वारा भरपूरी

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B. A. Manakala तू ने घुड़सवारों को हमारे सिरों पर से चलाया ; हम आग और जल में से होकर निकले , फिर भी तू हमें भरपूरी के स्थान पर ले आया। भजन 66:12 एक बार हम ' साइलेंट वैली ' (Silent Valley) नाम के एक पर्यटक स्थल पर गए। जंगल में पथरीली और कीचड़ भरी सड़क से दो घंटे की जीप की सवारी हमारे लिए बहुत कठिन थी। लेकिन जब हमने पहाड़ की चोटी पर से जो दृश्य देखा , वो बहुत शानदार था कि हम अपनी कठिन यात्रा के बारे में भूल ही गए। हम पृथ्वी पर आग और जल में से होकर गुज़रते हैं ; परन्तु अंत में हमारी मंज़िल भरपूरी का स्थान है (भजन 66:12)। आगे बढ़ने के लिए इन तीन बातों पर विचार करें: 1) कुछ अन्य लोग भी हैं जो आपके साथ यात्रा कर रहे हैं , 2) मार्ग के बजाय मंज़िल पर ध्यान केंद्रित करें और , 3) आपको निश्चित रूप से मंज़िल तक पहुँचाने में परमेश्वर समर्थ हैं। कष्टकर यात्रा से आप अपना ध्यान कैसे हटाना चाहेंगे ? हमारी यात्रा कठिन और दु:खभरी है ; परन्तु हमारी मंज़िल सुरक्षित और सुदृढ़ होगी! प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी , मेरा हाथ पकड़ कर मुझे कठिन मार्ग में से होकर ग

परखा हुआ और शुद्ध किया हुआ

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B. A. Manakala क्योंकि हे परमेश्वर , तू ने हमको परखा है , तू ने हमें ऐसे ताया जैसे चाँदी ताई जाती है। भजन 66:10 कोविड-19 के लिए एक टीके की घोषणा अब तक कई देशों ने की है। परन्तु उनमें से कोई भी उचित रूप से परीक्षित और अभी तक प्रमाणित नहीं हुआ है! आपको दासत्व , आग और जल के द्वारा शुद्ध होने के लिए परीक्षित और प्रमाणित किया गया है (भजन 66:10-12)। परन्तु स्मरण रखें कि , अंत में भरपूरी का स्थान भी है (वचन 12)। हम सभी को अंतिम उत्पाद ही पसन्द आता है ; परन्तु बीच में होने वाली प्रक्रिया इतनी पसन्द नहीं आती है। रोमियों 8:18 कहता है , " क्योंकि मैं यह समझता हूँ कि वर्तमान समय के दुखों की तुलना करना आनेवाली महिमा से जो हम पर प्रकट होने वाली है , उचित नहीं।" क्या आप परमेश्वर से यह प्रार्थना करना चाहते हैं कि वह आपको दु:ख से दूर रखें , या फिर यह चाहते हैं कि दु:ख की राहों से होकर गुज़रने में परमेश्वर का अनुग्रह आपको मिले ? परीक्षाएँ जितनी अधिक गंभीर होंगी , उत्पादित परिणाम भी उतने ही बेहतर होंगे! प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी , मेरे जीवन के लिए आ

परमेश्वर के हाथों में है हमारा जीवन

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B. A. Manakala वह तो हमारे जीवन को सुरक्षित रखता , और हमारे पैर को डिगने नहीं देता है। भजन 66:9 जब मैं कार चला रहा होता हूँ तो कभी-कभी मेरे छोटे बच्चे चालक की सीट पर बैठना चाहते हैं। आप जानते हैं कि गाड़ी चलाने के दौरान मुझे स्टीयरिंग ( steering) उनको देने में कितनी सावधानी बरतनी पड़ती है। जब कार खड़ी रहती है तब ही वे अक्सर खुद को संतुष्ट कर लेते हैं। हमारा जीवन अक्सर जोखिम में रहता है क्योंकि हो सकता है कि हम इसे सही तरीके से नहीं सम्भाल पाते हैं या हम इसे अपने मित्रों और अन्य लोगों के हाथों में दे देते हैं जो इसे सम्भालना नहीं जानते हैं। स्मरण रखें , आपके बच्चों , माता-पिता , मित्रों , रिश्तेदारों आदि , ऐसे कई लोगों के जीवन आपके हाथों में भी हो सकते हैं। परमेश्वर पर भरोसा रखते हुए उन सबके जीवनों को सावधानीपूर्वक सम्भालने में पूरी कोशिश करें , ताकि अंत में वे भी अपने जीवन को सर्वशक्तिमान परमेश्वर के हाथों में समर्पण कर दें। एक बार दाऊद ने कहा , मनुष्य के हाथों में पड़ने की तुलना में यहोवा के हाथों में पड़ना बेहतर है (2 शमूएल 24:14)। क्या आप अपना जीवन सम्प

प्रत्येक चलन पर आँखें लगी रहती हैं!

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B. A. Manakala वह अपने सामर्थ्य से सर्वदा शासन करता है ; उसकी आँखें जाति जाति पर लगी रहती हैं ; विद्रोही सिर न उठाएँ। भजन 66:7 माता-पिता के रूप में हमें लगता है कि हम अपनी छोटी बेटी के हर चलन पर नज़र रख रहे हैं। लेकिन वह हमें कुछ अपने कार्यों से आश्चर्यचकित कर देती है: जैसे अलमारी के अन्दर बैठना , कप तोड़ना , दीवार पर चित्र बनाना , आदि। परमेश्वर की आँखें जाति जाति पर लगी रहती हैं (भजन 66:7) ; कलीसिया , परिवार , प्रत्येक व्यक्ति , प्राणियों , ग्रहों , इन हर कार्यों में परमेश्वर की आँखें प्रत्येक चलन पर लगी रहती हैं। परमेश्वर की ऑंखें पूरी सृष्टि के प्रत्येक चलन पर लगी रहती हैं। जाति जाति के लोग विभिन्न योजनाएँ बना रहे हैं , कभी-कभी निर्माण करने के लिए , और कभी नष्ट करने के लिए ; कभी-कभी बिना यह पहचाने भी कि परमेश्वर की आँखें प्रत्येक कार्यों पर लगी रहती हैं! आपके जीवन में किन अवसरों पर आप यह भूल जाते हैं कि परमेश्वर आपको देख रहे हैं ? पूरी सृष्टि के रखवाले के रूप में परमेश्वर बहुत अद्भुत कार्य करते हैं! प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी , अपने आप को अ

परमेश्वर के आश्चर्यकर्म

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B. A. Manakala उसने समुद्र को सूखी भूमि बना दिया ; उन्होंने महानद को पैदल ही पार किया: आओ हम उसमें आनन्द मनाएँ! भजन 66:6 मैंने एक हथौड़ा उठाकर धीरे-धीरे फर्श पर मारना शुरू किया। फिर मैं हथौड़े को फर्श पर मारने के साथ-साथ अपने बाएँ हाथ को आगे पीछे करने लगा। मैंने प्रति सेकंड लगभग तीन गुना तक गति बढ़ा दी। यह देखकर मेरे बच्चे अचम्भित हो गए! हम परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों पर अचम्भित होते हैं। परन्तु क्या आपको लगता है कि इस तरह के आश्चर्यकर्मों से परमेश्वर की सामर्थ्य पूरी तरह से प्रकट होती है ? जैसे प्रभु यीशु और पतरस पानी के ऊपर चले थे , वैसे ही परमेश्वर ने इस्राएलियों को भी समुद्र के ऊपर से चला सकते थे। जैसे कि परमेश्वर ने फिलिप्पुस को उड़ा कर ले गए थे , वैसे ही वह इस्राएलियों को भी दूसरे किनारे पर उड़ा कर ले जा सकते थे। जैसे परमेश्वर ने कोरह और अनुयायियों को भूमि विभाजित करके मारे थे या आग के द्वारा , वैसे ही परमेश्वर मिस्रियों को भी मार सकते थे। आश्चर्यकर्म हमें परमेश्वर की सामर्थ्य की झलक दिखाते हैं जो हमें उन पर विश्वास करने में मदद करते हैं। चाहे हम यह मानें

पृथ्वी पर की सम्पूर्ण वस्तुएँ

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B. A. Manakala   सम्पूर्ण पृथ्वी तुझे दण्डवत् करेगी , और तेरा स्तुति-गान करेगी ; लोग तेरे नाम का स्तुति-गान करेंगे। भजन 66:4   मैंने किसी व्यक्ति को यह कहते हुए सुना कि , " मैं वो सब कुछ खाता हूँ जो मुझे वापस काटने को नहीं आता" , जिस का अर्थ है कि भोजन करते समय वह व्यक्ति पसन्द-नापसन्द का भाव नहीं रखता है। लेकिन मैंने उन्हें भोजन की मेज़ पर खास पसन्द-नापसन्द का भाव दिखाते हुए देखा है।   ऐसा कुछ भी नहीं है जो परमेश्वर की आराधना करने से छूट सकता है। ' सम्पूर्ण वस्तुओं ' में परमेश्वर की सारी सृष्टि , यहाँ तक कि निर्जीव वस्तुएँ भी शामिल हैं। वे सभी परमेश्वर के और उनकी आज्ञाओं के प्रति समर्पित हैं। बाइबल में हम समुद्र , भूमि , पौधों , कृमियों , मछलियों , हवा आदि के उदाहरण देखते हैं जो परमेश्वर की आज्ञा का पालन करते हैं! केवल मनुष्य ही अनाज्ञाकारी होने का चुनाव करता है क्योंकि उसे स्वेच्छा से चुनने का विकल्प दिया गया है। आज्ञा पालन करना बलिदान से बढ़कर है। दूसरे शब्दों में , आज्ञाकारिता के बिना आराधना करना व्यर्थ है।   क्या आप किसी अन्

कितने महिमामय हैं!

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B. A. Manakala उसके नाम की महिमा का भजन गाओ , स्तुति करते हुए उसकी महिमा करो। भजन 66:2 पानी में तैरने वाले बर्फ के पहाड़ से नाविकों को बहुत सावधान रहना पड़ता है क्योंकि साधारण तौर पर उसका सिर्फ दसवाँ हिस्सा ही पानी के ऊपर दिखाई देता है। दूसरे शब्दों में , तैरने वाले बर्फ के एक पहाड़ का वास्तविक आकार के बारे में उनकी गणना बिलकुल गलत हो सकती है। हम जो सृजे गए हैं , हमें यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि हम कभी भी पूरी तरह से यह समझ नहीं सकते हैं कि परमेश्वर कितने महिमामय हैं। हम यह सोचकर परमेश्वर को सीमित करते हैं कि ' मैं जानता हूँ कि परमेश्वर कौन हैं ' । परमेश्वर की सीमाओं को मानवीय भाषा और बुद्धि के द्वारा समझाया नहीं जा सकता है। और यदि आपको कभी परमेश्वर की छोटी सी भी झलक देखने को मिली हो कि परमेश्वर कौन हैं , तो आप दूसरों को इसके बारे में बताए बिना नहीं रह पाएँगे। आप यह जानने के लिए कितने उत्सुक हैं कि परमेश्वर कितने महिमामय हैं ? यदि आप को कभी परमेश्वर की एक छोटी सी भी झलक देखने को मिली हो कि परमेश्वर कौन हैं , तो आप परमेश्वर की महिमा किए बि

जयजयकार करें!

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B. A. Manakala हे सारी पृथ्वी के लोगो , परमेश्वर का जयजयकार करो! भजन 66:1 हमारी एक वर्षीय बेटी अभी तक बोलने नहीं लगी है ; लेकिन वह भूख लगने पर , नींद आने पर , गुस्सा या खुश होने पर , किसी तरह से व्यक्त करती है। कभी-कभी , वह रात में बहुत ज़ोर से रोने लगती है कि अगली सुबह पड़ोसी उसके बारे में हमसे पूछते हैं। क्या परमेश्वर वास्तव में चाहते हैं कि हम अपनी ऊँची आवाज़ से जयजयकार करें ? परमेश्वर चाहते हैं कि जैसे भी संभव हो , हम उनकी प्रशंसा करते रहें। यह ऊँची आवाज़ से , शान्त रहते हुए , रोते या मुस्कुराते हुए , गीत गाते हुए , शब्दों के द्वारा , आदि हो सकता है। परमेश्वर उम्मीद करते हैं कि हमारा पूरा जीवन , शब्द और व्यवहार के द्वारा , परमेश्वर और उनकी प्रशंसा की घोषणा करें। हमें वास्तविक आराधकों , व्यक्तियों , परिवारों और कलीसियाओं के रूप में हमारे पड़ोसी और आसपास के लोगों का हमें देखना अवश्य है। कितनी ऊँची आवाज़ में (सिर्फ ध्वनि में नहीं) आप परमेश्वर की आराधना करते हैं ? ' ऊँचे स्वर या ज़ोर से ', जैसा कि आप कर सकते हैं , शब्द और व्यवहार दोनों के द्वार