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युद्ध के घोड़े

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B.A. Manakala विजय के लिए घोड़ों पर आशा रखना व्यर्थ है ― वह अपनी बड़ी शक्ति के द्वारा किसी को नहीं बचाता। भजन 33:17 अक्सर राजा सोचते हैं कि वे अपने घोड़ों की ताकत के कारण युद्ध जीतते हैं। वैसे भी , घोड़े सवार के बिना कुछ नहीं कर सकते। हमें युद्ध में घोड़े की आवश्यकता है ; लेकिन जीत घोड़े के द्वारा प्राप्त नहीं होती है। मसीह के बिना एक मसीही होने का कोई अर्थ नहीं है। मैं चर्च जाता हूँ , प्रार्थना करता हूँ , गाता हूँ , प्रचार करता हूँ … मैं एक सेवक , पादरी , प्रचारक हूँ … । तो मैं एक विश्वासी हूँ। ये सब ' घोड़ों ' की तरह हैं जो आपको परमेश्वर की सन्तान नहीं बना सकते। इन ' घोड़ों ' की वजह से नहीं , बल्कि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से हमारा उद्धार हुआ है (इफि 2:8-9)। परमेश्वर के साथ चलते रहें और अपने जीवन का सारा श्रेय उन्हीं को दें। जीवित कुत्ता मृतक सिंह से अधिक अच्छा है! (सभो 9:4) प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी , मुझे आपके अनुग्रह पर , जिसने मुझे बचाया , भरोसा करते हुए जीवन जीने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!     (Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

परमेश्वर जीवित और मृतक को देखते हैं!

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B.A. Manakala यहोवा स्वर्ग से दृष्टि करते हैं , वह सब मनुष्यों को देखते हैं। अपने निवासस्थान से वह पृथ्वी के सब निवासियों को निहारते हैं। भजन 33:13-14 केवल एक ही हैं जो एक ही नज़र में पूरी मानव जाति को देख सकते हैं! वह दुःख में मरने वालों को भी देखते हैं! दुनिया में औसतन चार शिशुओं का जन्म हर पल ( second) में होता है जबकि हर पल में दो लोगों की मृत्यु होती है। लेकिन युद्ध के दौरान , बीमारियों के फैलने से मृत्यु दर बहुत अधिक बढ़ जाती है। मुझे अक्सर ऐसा महसूस होता है कि परमेश्वर से पूछूँ कि ' हे प्रभु , क्या आप इन दुःख में मरने वालों , पीड़ितों और दरिद्रों को नहीं देखते हैं ?' वास्तव में , हमारे जन्म से पूर्व (यिर्म 1:5) और हमारी मृत्यु के बाद भी परमेश्वर हमें देखते हैं। हम , जो परमेश्वर की सन्तान हैं , पूरी मानव जाति के लिए प्रार्थना करने का विशेष अधिकार रखते हैं (1 तीमु 2:1-2)। परमेश्वर सबको देखते हैं। हम भी प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रार्थना करें। जो लोग हमारे आसपास रहते हैं , हम केवल उन्हें ही देख पाते हैं ; परन्तु परमेश्वर दुनिया भर में सभी को देखते हैं! प्रार्थना: प

योजनाएँ जो कभी असफल नहीं होतीं !

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B.A. Manakala यहोवा की युक्ति सर्वदा स्थिर रहती है , उनके हृदय की योजनाएँ पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती हैं। भजन 33:11 किसी ने ऐसा कहा कि , ' योजना बनाने में जो असफल होता है , वो असफल होने की योजना बनाता है ' । लेकिन योजना बनाने के बाद भी बहुत लोग अक्सर अपनी योजनाओं को पूरा करने में असमर्थ होते हैं। केवल परमेश्वर ही ' एकमात्र ' हैं जिनकी योजनाएँ दृढ़ होती हैं। जब हमें ऐसा दिखता भी है कि चीज़ें गलत हो रही हैं तो भी परमेश्वर की योजनाएँ कभी असफल नहीं होती हैं। परमेश्वर के पास ब्रह्मांड , मानव जाति सहित उनकी सृष्टि के लिए एक योजना है। आप और मैं परमेश्वर की योजना का एक हिस्सा हैं ; हमारे परिवार और समाज भी उनकी ही योजना का हिस्सा हैं। अगला वचन यह कहता है , ( वचन 12) “ क्या ही धन्य है वह प्रजा जिसका परमेश्वर यहोवा है , वह जाति जिसे उन्होंने अपना निज भाग होने के लिए चुना है। ” यह एक ऐसे राष्ट्र के लिए बहुत ही आनन्द की बात है जिसने उनको अपना परमेश्वर चुना है। हमारी असफल योजनाओं के द्वारा भी परमेश्वर की योजनाएँ पूरी होती हैं! प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी , आपकी योजनाओं को पूर

किसका भय ?

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B.A. Manakala सारी पृथ्वी यहोवा से डरे , जगत के सब निवासी उनका भय मानें। भजन 33:8 मैं हमेशा इस बात से हैरान होता हूँ कि कैसे हवाई जहाज़ हवा में लगभग 30,000 फीट की ऊँचाई पर उड़ते हैं। A 320 हवाई जहाज़ की लम्बाई लगभग 123 फीट होती है , जिसका वजन लगभग 75,000 किलोग्राम होता है और यह लगभग 900 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से उड़ता है! लोग और दुनिया कई बातों से भयभीत रहते हैं। हो सकता है कि वे तकनीकी , बाढ़ , युद्ध , कोविड-19 और इस तरह की बातों से भयभीत रहते हों। परमेश्वर चाहते हैं कि सारी दुनिया उनका भय मानें और उनका आदर करें। यदि हमें हवाई जहाज़ और अन्य तकनीकियों को बनाने में उपयोग होने वाले मानवीय ज्ञान को देखकर अचम्भा होता है , तो परमेश्वर के ज्ञान के बारे में आप क्या कहेंगे जिन्होंने मनुष्य की सृष्टि की ? हम किस से भयभीत रहते हैं ? जो कोई भी वास्तव में परमेश्वर और उनकी रचना को देखता और समझता है , वह हमेशा आश्चर्यचकित ही होगा। मनुष्य कभी भी पूरी तरह से यह नहीं समझ सकता कि वास्तव में परमेश्वर कौन हैं! परमेश्वर के विषय में केवल थोड़ा सा ज्ञान ही मनुष्य को भयभीत कर देगा। प्रार्थना: प

क्रिएशिओ एक्स निहिलो (Creatio ex nihilo)

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B.A. Manakala आकाशमण्डल यहोवा के वचन से , और उसके सारे गणों की रचना उन्हीं के मुँह की श्वास से हुई। भजन 33:6 लातीनी ( Latin) वाक्यांश ‛ क्रिएशिओ एक्स निहिलो ’ (Creatio ex nihilo) का अर्थ है ‛ शून्य से सृष्टि की गई ’ । वैज्ञानिक रूप से , केवल ‛ शून्य से कुछ भी सृजा नहीं जा सकता है ’; प्रत्येक कार्य का बराबर या उससे अधिक प्रभाव अवश्य होता है ; प्रत्येक कार्य की बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती है ; ऊर्जा न तो सृजी जा सकती है और न ही नष्ट की जा सकती है। क्या आपने या किसी और व्यक्ति ने कभी भी शून्य से कुछ सृजा है ? हाँ! यह एकमात्र हमारे अनन्तकाल के परमेश्वर हैं जिन्होंने शून्य से सब कुछ सृजा है। इब्रा 11:3 कहता है कि “ विश्वास ही से हम जानते हैं कि परमेश्वर के वचन के द्वारा समस्त सृष्टि की रचना ऐसी की गई कि जो कुछ देखने में आता है , वह दिखाई देने वाली वस्तुओं से नहीं बनाया गया था। ” केवल अनन्तकाल के परमेश्वर ही शून्य से कुछ भी सृष्टि कर सकते हैं। प्रार्थना: अनन्तकाल के प्रेमी परमेश्वर , आपकी सृष्टि करने की सामर्थ के लिए मैं आपकी आराधना करता हूँ। आप ही एकमात्र सृष्टिकर्ता हैं , इस

शुद्ध मन के लोग परमेश्वर की स्तुति करते हैं !

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B.A. Manakala हे धर्मियो , आनन्द से यहोवा का जयजयकार करो , खरे लोगों को स्तुति करनी सोहती है। भजन 33:1 परमेश्वर चाहते हैं कि उनकी सन्तान उनकी स्तुति करें। दुनिया में मसीहियों की आबादी में से आपको क्या लगता है कि कितने लोगों के मन शुद्ध होंगे ? कितने लोग मन की सच्चाई से परमेश्वर की स्तुति करते होंगे ? हम , जो परमेश्वर के द्वारा शुद्ध किए गए हैं , हमें सदा उनकी स्तुति करनी है , क्योंकि दुष्ट या अपवित्र या मृतक उनकी स्तुति नहीं कर सकते हैं (भजन 115:17)। आप परमेश्वर की कितनी स्तुति कर पाते हैं ? भजन 32:11 और भजन 33:1 में बहुत समानता है। जब आप परमेश्वर को सही तरीके से देखते हैं , तभी आप सही तरीके से उनकी स्तुति कर सकते हैं ; केवल जिनके मन शुद्ध हैं , वो ही परमेश्वर को देख सकते हैं (मत्ती 5:8)। जो लोग केवल नाम के ' मसीही ' कहलाते हैं , वे नहीं , बल्कि केवल शुद्ध मन के लोग ही परमेश्वर की स्तुति पूरी सच्चाई से कर सकते हैं। प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी , जीवन भर अपने मन की गहराई से आपकी स्तुति करने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!     (Translated from English to Hindi by S. R. Na

अद्भुत युक्ति करनेवाला !

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B.A. Manakala मैं तुझे बुद्धि दूँगा और जिस मार्ग पर तुझे चलना है उसमें तेरी अगुवाई करूँगा , मैं अपनी दृष्टि तुझ पर लगाए रखकर तुझे सम्मति दूँगा। भजन 32:8 जीवन के विभिन्न चौराहों पर हम सभी को किसी के मार्गदर्शन और सही निर्णय लेने के लिए सलाह देने में किसी व्यक्ति की आवश्यकता महसूस होती है। हम अक्सर अपने ' अद्भुत युक्ति करनेवाले ' ( यशा 9:6) को किनारे करते हुए मानवीय मदद की तलाश करते हैं। परमेश्वर ऐसा हमसे कभी नहीं चाहते हैं। परमेश्वर हमें किनारे नहीं करना चाहते हैं , बल्कि वह सदा हमारे साथ ही काम करते रहना चाहते हैं। यह जानना कितनी अद्भुत बात है कि " निस्संदेह , प्रभु यहोवा जब तक अपने दास नबियों पर अपना भेद प्रकट नहीं करते तब तक वह कुछ भी नहीं करते " (आमोस 3:7)। आइए परमेश्वर को अपने जीवन का मुख्य युक्ति करनेवाला बनाते हैं। यदि आप मानवीय सलाहकारों को किनारे करते हैं तो आप कुछ भी नहीं खोएँगे ; लेकिन यदि आप ' अद्भुत युक्ति करनेवाले ' को किनारे करते हैं , तो आप ज़रूर खोएँगे। प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी , मेरे लिए एक ' अद्भुत युक्ति करनेवाला ' होने के

मान लेना !

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B.A. Manakala मैंने आपके सामने अपना पाप मान लिया और अपना अधर्म न छिपाया। मैंने कहा , “ मैं अपने अपराध यहोवा के सामने मान लूँगा ,” तब आप ने मेरे पाप के दोष को क्षमा कर दिया। भजन 32:5 आप कितनी बार परमेश्वर के सामने अपने अपराधों को मानते हैं , या स्वीकार करते हैं ? एक दयालु परमेश्वर के सामने अपने अपराध को मान लेना साधारण तौर पर आसान है। लेकिन जितनी बार सम्भव हो सके उतनी बार हमें ऐसा करना ज़रूरी है , क्योंकि हम कई तरह से पाप करते हैं। मनुष्यों के सामने अपने अपराध को मानना शायद सबसे कठिन काम है। याकूब 5:16 हमें प्रोत्साहित करता है कि हम आपस में अपने पापों को मान लें। इस वचन के अनुसार कुछ हद तक हमें धर्मी बनाया गया है क्योंकि हम अपने अपराध मान लेते हैं। केवल परमेश्वर ही हमें धर्मी बना सकते हैं ; परन्तु हम उस प्रक्रिया की शुरुआत कर सकते हैं। जब हम किसी अन्य व्यक्ति के विरुद्ध अपराध करते हैं तो यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि हम परमेश्वर और उस व्यक्ति दोनों के सामने अपने अपराध को मान लें। परमेश्वर और दूसरों के सामने अपने अपराधों को मान लेने से धार्मिकता आरम्भ होती है। प्रार्थना: प्य