मन में पाप होना

B. A. Manakala

यदि मैं अपने मन में अधर्म को संजोए रखता, तो प्रभु मेरी न सुनता। भजन 66:18

ऊपर दी हुई तस्वीर एक ड्यूरियन फल (Durian Fruit) की है। यह बाहर से काँटेदार और बदसूरत दिखता है। लेकिन यह फल अन्दर से सुन्दर और खाने में स्वादिष्ट है। लोग इसे इसलिए खरीदते हैं क्योंकि यह दिखने में सुन्दर न होते हुए भी अन्दर से स्वादिष्ट होता है।

जब हम लोगों को देखते हैं, तो हम केवल उनका बाहरी रूप ही देख पाते होंगे, जो कि उनका वास्तविक रूप नहीं होगा। कुछ लोगों का बाहरी रूप अच्छा दिखाई दे सकता है; और कुछ लोगों का बाहरी रूप बहुत आकर्षक नहीं भी हो सकता है। हममें से सभी को शायद यह परखना भी नहीं आता होगा कि हर व्यक्ति के मन में क्या है।

विडम्बना यह है, कि कभी-कभी हम स्वयं ही यह देख नहीं पाते हैं कि हमारे अपने मन के अन्दर क्या है। इसलिए, दाऊद ने एक बार प्रार्थना की: 'परमेश्वर, आप देखिए कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, जो आपको अप्रसन्न करे' (भजन 139:24)। हमें अक्सर परमेश्वर और दूसरे लोगों की ज़रूरत होती है जो हमें यह पहचानने में मदद करते हैं कि हममें क्या-क्या पापमय स्वभाव हैं। यदि समस्या के मुख्य भाग का हल हो जाता है, तो बाकी समस्याओं को अपने आप ही हल किया जा सकता है।

आप कितनी बार यह चाहते हैं कि परमेश्वर आपको खुद के जीवन में वो सब दिखाएँ जो परमेश्वर को अप्रसन्न करते हैं?

बाहर से अच्छे ज़रूर बनो, परन्तु अन्दर से भी अधिक अच्छे बनो!

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, मेरे मन को पवित्र कीजिए कि मैं आपको आदर देने पाऊँ और इसके साथ दूसरों के लिए आशीष का कारण भी बन पाऊँ। आमीन!

 

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)



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