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Showing posts from November, 2020

थके हुए हैं ?

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B. A. Manakala मैं पुकारते पुकारते थक गया , मेरा गला सूख गया है ; अपने परमेश्वर की बाट जोहते जोहते मेरी आँखें धुँधली पड़ गई हैं। भजन 69:3 दानिय्येल परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए नहीं थका था। फिर चाहे कुछ भी हो वह प्रतिदिन तीन बार प्रार्थना करता रहा! उसने ऐसा तब भी किया जब उसके जीवन में दर्दभरे पल भी थे ; जब सब कुछ सही चल रहा था तब भी उसने वैसे ही प्रार्थना की। हमारा थकना स्वाभाविक है। हम कभी-कभी परमेश्वर से किसी विषय के लिए प्रार्थना करते हैं कि उसमें एक अलग तरीके से बदलाव दीजिए , और वो भी एक निश्चित समय पर जैसा हम चाहते हैं। यह हमारे लिए प्रार्थना करते-करते थकने का एक कारण हो सकता है। परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का , बिलकुल जैसा हम चाहते हैं , उत्तर दे भी सकते हैं या नहीं भी दे सकते हैं। जैसा हम उम्मीद करते हैं , कभी-कभी हमारी प्रार्थनाओं के लिए परमेश्वर की प्रतिक्रिया उसी तरह से नहीं हो सकती है। एक निश्चित तरीके से हमारी परिस्थितियों के लिए परमेश्वर की प्रतिक्रिया के माध्यम से एक विशेष उद्देश्य को पूरा करना हो सकता है। आप यह कैसे समझेंगे कि परमेश्वर

दलदल में धँसना

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B. A. Manakala मैं गहरे दलदल में धँसा जाता हूँ , मेरे पैरों के लिए कोई आधार नहीं। मैं गहरे जल में आ फँसा हूँ और जल-धारा मुझे डुबाए जा रही है। भजन 69:2 दलदल सबसे खतरनाक जगहों में से एक है , विशेष कर जब आप अकेले हों और मदद करने वाला कोई भी आस-पास न हो। आप बच निकलने के अपने सभी प्रयासों के बावजूद भी डूबते ही रहेंगे! हम अक्सर इस दुनिया के बाढ़ के पानी और दलदल में डूब जाते हैं। केवल परमेश्वर ही हमें इस तरह की दलदल की मिट्टी से बचा सकते हैं (भजन 69:1-2)। जब परमेश्वर ने हमारे हाथों को थामा हुआ है तब हम डूब नहीं सकते। परन्तु जब तक हम दुनिया में रह रहे हैं तब तक हमारे आस-पास ऐसा बहुत कुछ होता है जो हमें डुबा सकती हैं। हम अक्सर परमेश्वर से दूर भागते हैं और इस दुनिया की समस्याओं में डूब जाते हैं। जो लोग इस दुनिया में डूब रहे हैं , हम उन लोगों की मदद करने और उनकी भलाई करने के लिए बुलाए गए हैं। परन्तु यदि हम स्वयं अपनी समस्याओं में ही डूब रहे हैं , तो हम दूसरे लोगों की मदद कैसे कर पाएँगे ? एक बार जब आप दलदल में धँस जाते हैं , तब उसमें पैर रखने की जगह पाना भी ल

परमेश्वर स्वयं अपनी प्रजा को शक्ति देते हैं।

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B. A. Manakala हे परमेश्वर , तू अपने पवित्रस्थान में भययोग्य है। इस्राएल का परमेश्वर स्वयं अपनी प्रजा को शक्ति और सामर्थ्य देता है। परमेश्वर धन्य हो! भजन 68:35 पॉल ( Paul) नाम के एक व्यक्ति थे। उनकी कई ज़रूरतें थीं। वह कभी-कभी बिना कुछ भोजन खाए भी रहते थे। कभी-कभी उनके पास जीवित रहने के लिए कुछ भी नहीं होता था! ऐसे समय में भी उन्होंने कहा: ' जो मुझे सामर्थ प्रदान करता है , उसके द्वारा मैं सब कुछ कर सकता हूँ , या यहाँ तक कि बिना किसी वस्तु के भी मैं जीवित रह सकता हूँ ' । परमेश्‍वर स्वयं अपनी प्रजा को शक्ति और सामर्थ्य देते हैं (भजन 68:35)। हम अक्सर परमेश्वर की शक्ति को सही रीति से नहीं समझते हैं। हमें ऐसा लगता है कि परमेश्वर की शक्ति केवल हमारे कार्यों को पूरा करने के लिए ही है , जैसे कि युद्ध जीतना या शत्रु को पराजित करना। परन्तु हम में जो परमेश्वर की शक्ति है , वो हमें उन सभी प्रकार की परिस्थितियों पर विजय पाते हुए उन में से होकर जाने में सक्षम बनाती है , जिनमें से हमें पृथ्वी पर रहते हुए गुज़रने होते हैं। इसमें बीमारी , निर्धनता , एकान्तता , दु:ख आ

परमेश्वर की वाणी गरजती है।

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B. A. Manakala उसी का जो सनातन सर्वोच्च स्वर्ग में सवारी करता है ; देखो वह अपनी वाणी में , शक्तिशाली वाणी में बोलता है। भजन 68:33 एक सामान्य बात-चीत की ध्वनि लगभग 60 तरंगों ([ decibel] dB) की होती है ; और बिजली की गड़गड़ाहट लगभग 120 तरंगों ( dB) की होती है। 10 तरंगों में वृद्धि होने का अर्थ है 10 गुना अधिक ऊँची ध्वनि। पृथ्वी की सतह पर अब तक की सबसे ज़ोर की ध्वनि 1883 (180 dB) में हुए क्राकाटोआ ( Krakatoa) के ज्वालामुखी के विस्फोट को दर्ज किया गया था। 194 तरंगों से अधिक ऊँची ध्वनि को पृथ्वी की सतह झेल नहीं सकती है! लगभग 120 तरंगों की ऊँची ध्वनि मनुष्य के सुनने की क्षमता को तुरन्त नुकसान पहुँचा सकती है। प्रत्येक वर्ष लगभग 2000 लोग बिजली गिरने से मारे जाते हैं। यदि परमेश्वर हमसे गरजती हुई वाणी में बोलें तो यह हमारी सुनने की क्षमता को नुकसान ही पहुँचाने वाला है! क्या हमें इस बात का एहसास है कि हम जो परमेश्वर के बारे में सोचते हैं वह उन सब से भी कहीं बढ़कर हैं ? भजन 68 के 32 से 35 तक के वचनों में परमेश्वर की महान् सामर्थ्य के बारे में जानते हुए उन की आराधना करन

परमेश्वर का स्तुतिगान करें

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B. A. Manakala हे पृथ्वी के राज्य राज्य के लोगो , परमेश्वर का स्तुतिगान करो ; प्रभु का भजन गाओ। भजन 68:32 एक बार मैं एक चर्च की आराधना में शामिल हुआ। हमेशा की तरह आराधना के कई गीत गाए गए। गीत गाते समय मुझे यह एहसास हुआ कि मेरा हृदय नहीं , केवल मेरे होंठ ही गा रहे थे। मुझे इस बात का बहुत अफ़सोस था कि मैंने पूरे गीत परमेश्वर को स्मरण किए बिना , ज़ोर-ज़ोर से और मधुरता से गाया था! भजनकार मिस्र और इथियोपिया सहित सभी देशों को परमेश्वर के गीत गाने के लिए प्रोत्साहित करता है (भजन 68:31-32)। यह सत्य है कि एक दिन सभी राज्य परमेश्वर के लिए भेंट लेकर आएँगे। एक दिन , हर घुटना झुकेगा और हर ज़बान यह स्वीकार करेगी कि यीशु मसीह ही प्रभु है। वह भविष्य के बारे में है ; वर्तमान के बारे में क्या ? मैं परमेश्वर के लिए कैसे गा रहा हूँ ? क्या प्रभु ऐसा कहेंगे , ' तुम होंठों से मेरा आदर करते हो , परन्तु तुम्हारा हृदय मुझसे बहुत दूर है '? ( यशा 29:13) आप गाएँ , यदि आपका हृदय भी शामिल है ; नहीं तो आप न गाएँ , यदि आपके होंठ ही केवल गा रहे हैं। प्रार्थना: प्यारे प्र

युद्ध से प्रसन्न होते हैं ?

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B. A. Manakala नरकटों के जंगली जानवरों को , हाँ , साँड़ों के झुण्ड को डाँट जो देश देश के बछड़ों के मध्य है। वे चाँदी की छड़ों को लिए हुए चरणों में झुकें। जो लोग युद्ध से प्रसन्न होते हैं उनको उसने तितर-बितर किया है। भजन 68:30 कई वर्षों पूर्व मेरा एक मित्र था जो साधारण तौर पर कक्षा में बहुत शान्त रहता था। परन्तु , यदि कभी दोस्तों के बीच झगड़ा होने पर वह तुरन्त वहाँ आ जाता। बहुत ही धीमी आवाज़ में उनके कुछ सवालों से कुछ ही पलों में पूरी स्थिति शान्त हो जाती। वह समस्या के कारण के बारे में पूछताछ करके उसके हल करने का एक तरीका बता देता। अक्सर उनका इस तरह बीच में आना कई समस्याओं को हल करता था! युद्ध से प्रसन्न होने वाले लोग जल्द ही तितर-बितर होंगे (भजन 68:30)। मनुष्य के पापी स्वभाव के कारण पृथ्वी पर झगड़े और युद्ध होना एक सामान्य बात है। परन्तु हममें से जो प्रभु यीशु मसीह के माध्यम से शान्ति प्राप्त कर चुके हैं , उन्हें पृथ्वी पर शान्ति कराने वाला अवश्य ही बनना चाहिए। प्रभु यीशु शान्ति कराने वाले थे जो स्वर्ग से पृथ्वी पर आए थे। हम में से प्रत्येक व्यक्ति पृथ्वी पर शान

राजाओं की तुलना में 'राजा'

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B.A. Manakala यरूशलेम में तेरे मन्दिर के कारण, राजा तेरे लिए भेंटें ले आएँगे। भजन  68:29 हंस उनकी लंबी उड़ानों के दौरान वी-आकार (V-formation) में उड़ते हैं। नेतृत्व करने वाले पक्षी के लिए उड़ान बहुत कठिन होती है और इसलिए वे बारी-बारी से नेतृत्व करते हैं। इस तरह वे जल्दी न रुकते हुए लंबी उड़ान भरने में सक्षम होते हैं। पृथ्वी के राजा स्वर्ग के 'राजा' की आराधना करते हैं (भजन 68:29)। भले ही हम में से कुछ लोगों के पास पृथ्वी पर बहुत उच्च पद्वी होंगे, परन्तु फिर भी हमें स्वर्ग के सर्वोच्च अधिकार को अवश्य ही स्वीकार करना होगा। परमेश्वर की सारी सृष्टि सर्वोच्च अधिकार के अधीन हैं। या तो, क्योंकि मनुष्य को चुनाव करने की स्वतंत्रता है या क्योंकि हम यह भूल जाते हैं कि हम अक्सर परमेश्वर को अनदेखा करते हुए अपने रास्ते पर चलते हैं। सांसारिक राजा आपको कभी भी नहीं जानते होंगे और आप पर कोई व्यक्तिगत ध्यान भी नहीं दे सकते होंगे। परन्तु स्वर्गीय 'राजा' आप में बहुत रुचि रखते हैं, आपसे प्यार करते हैं और आपके साथ वास करना चाहते हैं! क्या ऐसे समय होते हैं जब आपको सर्वशक्तिमान 'राजा' के

छोटा अगुवा

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B.A. Manakala वहाँ सब से छोटा, बिन्यामीन, उनकी अगुवाई कर रहा है, वहाँ यहूदा के शासकों, और जबूलून व नप्ताली के शासकों के भी झुण्ड हैं। भजन 68:27 जब भी हम परिवार के साथ टहलने जाते हैं तो हमारा छोटा बेटा सबसे आगे मार्गदर्शक के रूप में चलना पसन्द करता है। वह कभी-कभी यह न जानते हुए कि अब कहाँ जाना है, चलते-चलते रास्ते में रुक जाता है; कई बार वह रास्ते के बारे में अनुमान लगा कर आगे बढ़ जाता है। 'छोटा अगुवा' एक विडम्बना युक्त वाक्यांश जैसे लगता है। हमारे मन में प्रश्न होगा कि 'क्या कोई अगुवा छोटा हो सकता है?' या 'क्या कोई छोटा व्यक्ति अगुवा हो सकता है?' शायद दोनों ही मानवीय दृष्टिकोण में तर्कहीन हैं। इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति धन, तीव्रबुद्धि, ज्ञान, प्रभाव, रूप-रंग आदि से एक अगुवा बन सकता है। इसलिए हम अक्सर यह सोचते हैं कि एक अगुवे में ये गुण होने चाहिए। नेतृत्व का सबसे अच्छा नमूना प्रभु यीशु में पाया जा सकता है, जिन्होंने कहा कि 'मैं अपनी सेवा करवाने नहीं, बल्कि सेवा करने के लिए आया हूँ' (मत्ती 20:28)। सच्चे अगुवों को हमेशा अगुवों के रूप में स्वीकार नहीं कर

जीवन का स्रोत

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B. A. Manakala तुम जो इस्राएल के सोते से निकले हो , यहोवा का धन्यवाद करो , हाँ , सभाओं में परमेश्वर का धन्यवाद करो। भजन 68:26 एक तरह के केंचुए ( flatworms) पुनर्जनन कर के फिर से जी सकते हैं , भले ही वे दो या तीन टुकड़ों में भी कट जाएँ! कुछ द्विलिंग ( hermaphrodite) में नर और मादा दोनों के प्रजनन अंग मौजूद होते हैं और आवश्यकतानुसार वे एक से दूसरे में अदला-बदली कर सकते हैं! परमेश्वर ने उन्हें एक पुनर्जनन करने की क्षमता प्रदान की है। परन्तु जिन प्राणियों के सिर और पूँछ होते हैं , उन सभी को यह क्षमता नहीं होती है। परमेश्वर ही जीवन का स्रोत हैं। केवल ' एक ' ही हैं जिन्होंने कहा , " मैं ही ... जीवन हूँ" (यूहन्ना 14:6)। जब हम में जीवन नहीं रहता है , तब हम मरे हुए हैं। दूसरे शब्दों में , जो जीवन के स्रोत हैं , हम ' उनके ' बिना जीवित नहीं रह सकते हैं। दो बातें हैं- पहला , जीवन जो शरीर को जीवित रखता है और दूसरा , जीवन जो हमारी आत्मा को जीवित रखता है। परमेश्वर ही दोनों जीवन के स्रोत हैं। जब आदम और हव्वा ने अदन के बगीचे के मध्य में लगे पेड़

परमेश्वर का आगमन

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B. A. Manakala हे परमेश्वर , लोगों ने तेरा आगमन देखा , पवित्रस्थान में मेरे परमेश्वर , मेरे राजा का आगमन। भजन 68:24 कई वर्ष पूर्व जक्कई नाम के एक व्यक्ति ने लोगों की एक भीड़ देखी। वह एक नाटा व्यक्ति होने के कारण , उसे यह देखने के लिए एक पेड़ पर चढ़ना पड़ा कि भीड़ के मध्य में कौन था। अन्त में , जब भीड़ उस पेड़ के नीचे पहुँची , तब प्रभु यीशु ने , जो उस भीड़ के मध्य में थे , ऊपर देखते हुए कहा , ' जक्कई , शीघ्र नीचे उतर आओ ; क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना है। ' कई अलग-अलग भीड़ के दृश्य हम देख पाते हैं और हम अक्सर ऐसे कई भीड़ से आकर्षित भी हो जाते होंगे। परमेश्वर का आगमन उनके पवित्रस्थान की ओर बढ़ता है (भजन 68:24)। आज हम परमेश्वर के मन्दिर हैं और उनका आगमन हमारी ओर बढ़ रहा है। भले ही परमेश्वर हम में वास करते हैं , तो भी अक्सर हम अपने जीवन के केंद्र का मुख्य स्थान ले लेते हैं। और परमेश्वर के स्थान पर , जो हम में वास करते हैं , हम स्वयं को दूसरे लोगों के सामने प्रस्तुत करते हुए उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं। क्या आप दूसरे लोगों को परमेश्वर के आगमन

सागर की गहराई

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B.A. Manakala प्रभु ने कहा, "मैं उन्हें बाशान से लौटा लाऊँगा। मैं उन्हें सागर की गहराई से निकाल लाऊँगा..." भजन 68:22 24 अगस्त 2019 को विक्टर वेस्कोवो (Victor Vescovo) ने मारियाना ट्रेंच (Mariana Trench) में चैलेंजर डीप (Challenger Deep) के नाम से कहलाने वाले, महासागर के सबसे निचले हिस्से (5,550 मीटर) तक गोता लगाया। परन्तु महासागर का 80 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा आज तक भी पता नहीं लगाया है! दुनिया के महासागर के लगभग 7 प्रतिशत को ही समुद्रीय संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है! हमारे पास 'सागर की गहराइयों' को परिभाषित करने के लिए पर्याप्त जानकारी नहीं है जिसके बारे में परमेश्वर बता रहे हैं; परन्तु सृष्टिकर्ता परमेश्वर को इसकी पूरी जानकारी है! शायद, हम यह भी नहीं जानते हैं कि हम अभी तक परमेश्वर की सृष्टि को कितना जान पाए हैं! ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ हम परमेश्वर से छिप सकते हैं। चाहे हम तारागण के मध्य अपना घोंसला बनाएँ, वहाँ से भी वह हमें भूमि पर गिरा सकते हैं (ओब 1:4)। क्या आप परमेश्वर के बारे में और अधिक जानने के लिए उत्सुक हैं? हम जो परमेश्वर के बारे में सोचते हैं, वास्

जो अपने दोषपूर्ण मार्गों पर चलना पसन्द करते हैं!

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B. A. Manakala निश्चय , परमेश्वर अपने शत्रुओं के सिर को , और जो अपने दोषपूर्ण मार्गों पर चलना पसन्द करते हैं , उनकी बालदार खोपड़ी को चूर चूर कर डालेगा। भजन 68:21 "नहलाई हुई सूअरनी कीचड़ में लौट जाती है" यह बाइबल में दी हुई एक कहावत है (2 पतरस 2:22)। नहलाने के बाद भी सूअरनी अपने स्वभाव से परिवर्तित नहीं होती है। परन्तु जब हम परमेश्वर की सन्तान बन जाते हैं तो हमारे अन्दर एक परिवर्तन होता है। सामान्य तौर पर , हम दोषपूर्ण मार्गों पर चलना नहीं चाहते हैं। परन्तु जो लोग परमेश्वर से प्रेम भी करते हैं , वे गुप्त रूप से अपने पापपूर्ण मार्गों को पसन्द करते हुए उन पर चल सकते हैं। परन्तु ऊपर दिए गए वचन से यह स्पष्ट होता है कि यह एक ऐसी बात है जिससे परमेश्वर घृणा करते हैं और उन लोगों को इसके परिणाम को भुगतना पड़ेगा (भजन 68:21)। भले ही हम उद्धार पाए हुए हों , फिर भी पाप करने की आज़ादी को परमेश्वर हमसे नहीं हटाते हैं। इसलिए , हमें धार्मिकता के मार्ग को पसन्द करते हुए स्वेच्छा से और गम्भीरतापूर्वक उस पर चलने की आवश्यकता है। पवित्र आत्मा जो हम में वास करते हैं , वह

मृत्यु से बचाव

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B. A. Manakala परमेश्वर , हमारे लिए छुटकारा देने वाला परमेश्वर है ; मृत्यु से बचने की राहें भी प्रभु यहोवा की हैं। भजन 68:20 एक व्यक्ति की एक गम्भीर दुर्घटना हुई। आस-पास खड़े लोग उसे अस्पताल ले गए। पहले उसे सघन संरक्षण ( intensive care) में , और फिर उसे वेंटिलेटर ( ventilator) में ले जाया गया। कुछ ही मिनटों में डॉक्टर सबसे दुखद समाचार के साथ बाहर आए , जिसकी कभी उम्मीद नहीं थी! हम निराशा में डॉक्टरों से मदद के लिए उम्मीद करते हैं। परन्तु वे कुछ सीमाओं के पार नहीं जा सकते हैं और अन्त में उनके पास हमें देने के लिए केवल दुखद समाचार ही होंगे। कुछ लोग डॉक्टरों से ही गुस्सा हो जाते हैं , यह सोचकर कि ऐसा उनकी गलती की वजह से हुआ है। अक्सर हम केवल शारीरिक मृत्यु से घबराते हैं। इसलिए , पृथ्वी पर हम जो भी कार्य करते हैं , उनमें से अधिकांश भौतिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए होती हैं। परन्तु परमेश्वर हमें शारीरिक और आत्मिक मृत्यु दोनों से बचाते हैं। स्मरण रखें , यहाँ तक कि प्रभु यीशु ने स्वयं को शारीरिक मृत्यु के लिए तैयार किया था , और स्वर्ग में उठा लिए जाने से पहले

प्रतिदिन परमेश्वर की बाँहों में

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B. A. Manakala धन्य हो प्रभु , जो प्रतिदिन हमारा बोझ उठाता है , परमेश्वर , जो प्रतिदिन हमें अपनी बाँहों में थाम लेता है। भजन 68:19 हर दिन जब हमारी एक वर्षीय बेटी को नींद आती है तब वह अपनी माँ के लिए रोने लगती है। ऐसा लगता है मानो माँ की बाँहें उसके सोने के लिए सबसे आरामदायक जगह है। यह कितनी अद्भुत बात होगी यदि हम हमेशा यह पहचान कर याद रख सकें कि हमें सबसे सामर्थी हाथों ने थामा हुआ है! इसके अलावा ऐसी कोई अन्य जगह नहीं है जहाँ हमारे पास ऐसी महान् सुरक्षा हो सकती है। ऐसी कोई ताकत नहीं है जो हमें परमेश्वर की बाँहों से छीन सकता है! ऐसा या तो तब होता है जब हमें यह एहसास नहीं होता है कि हम परमेश्वर की बाँहों में सुरक्षित हैं , या जब हम परमेश्वर की बाँहों की सामर्थ के बारे में नहीं समझते हैं , तब हम चिंतित हो जाते हैं। आप कितना महसूस करते हैं कि प्रत्येक दिन आप परमेश्वर की बाँहों में हैं ? जब परमेश्वर ने हमें थामा हुआ है , तब हमें अपना बोझ खुद उठाने की कोई आवश्यकता नहीं है! प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी , प्रतिदिन आप मुझे अपनी बाँहों में थामे रहते हैं ,

असंख्य !

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B. A. Manakala परमेश्वर के रथ बीस हज़ार , वरन् हज़ारों हज़ार हैं ; प्रभु अपनी पवित्रता में , जैसे सीनै पर्वत पर वैसे ही उनके मध्य है। भजन 68:17 कभी-कभी जब हम अपने छोटे बच्चों से पूछते हैं कि ' तुम हमसे कितना प्यार करते हो ?', तो वे जवाब में , ' सौ-हज़ार , सौ-हज़ार , सौ-हज़ार... ' और ऐसा बहुत बार कहते हैं! यह सिर्फ हमारे लिए उनके असीमित प्रेम को व्यक्त करता है। क्या पृथ्वी पर ऐसा कुछ है जो असंख्य है ? समुद्र पर की रेत ? हमारे सिर के बाल ? आकाश में तारे ? परन्तु , शायद वे सभी गिने या मापे जा सकते हैं। ' असंख्य ' एक ऐसी धारणा नहीं है जिसे हम अपनी बुद्धि से समझ सकते हैं ; परन्तु परमेश्वर समझते हैं। वह कौन हैं , जिनका न ही कोई आरम्भ और अन्त है। वह कौन हैं , जो आपके जन्म से भी पहले से आपको जानते थे ? वह कौन हैं , जिन्होंने ब्रह्मांड की सृष्टि की ? केवल परमेश्वर के अलावा , वह कौन हैं , जिनके पास असंख्य रथ हो सकते हैं ? परमेश्वर के असंख्य रथ , विजय की उनकी असीमित सामर्थ को दर्शाती है। संख्या में कई अनोखे तरकीब होते हैं जो हमें अचम्भित करते हैं। औ