जीवन का स्रोत

B. A. Manakala

तुम जो इस्राएल के सोते से निकले हो, यहोवा का धन्यवाद करो, हाँ, सभाओं में परमेश्वर का धन्यवाद करो। भजन 68:26

एक तरह के केंचुए (flatworms) पुनर्जनन कर के फिर से जी सकते हैं, भले ही वे दो या तीन टुकड़ों में भी कट जाएँ! कुछ द्विलिंग (hermaphrodite) में नर और मादा दोनों के प्रजनन अंग मौजूद होते हैं और आवश्यकतानुसार वे एक से दूसरे में अदला-बदली कर सकते हैं! परमेश्वर ने उन्हें एक पुनर्जनन करने की क्षमता प्रदान की है। परन्तु जिन प्राणियों के सिर और पूँछ होते हैं, उन सभी को यह क्षमता नहीं होती है।

परमेश्वर ही जीवन का स्रोत हैं। केवल 'एक' ही हैं जिन्होंने कहा, "मैं ही ... जीवन हूँ" (यूहन्ना 14:6)। जब हम में जीवन नहीं रहता है, तब हम मरे हुए हैं। दूसरे शब्दों में, जो जीवन के स्रोत हैं, हम 'उनके' बिना जीवित नहीं रह सकते हैं। दो बातें हैं- पहला, जीवन जो शरीर को जीवित रखता है और दूसरा, जीवन जो हमारी आत्मा को जीवित रखता है। परमेश्वर ही दोनों जीवन के स्रोत हैं। जब आदम और हव्वा ने अदन के बगीचे के मध्य में लगे पेड़ से खाए तो वहाँ तुरन्त उनकी आत्मिक मृत्यु हुई थी; परन्तु, अन्त में उनकी शारीरिक रूप से भी मृत्यु हो गई।

मैं इस तर्क को कभी भी स्वीकार नहीं करता हूँ कि परमेश्वर जीवन के स्रोत होने के कारण, लोगों को नरक में अनन्तकाल के लिए नहीं डालेंगे। परमेश्वर के साथ स्वर्ग में अनन्तकाल या शैतान के साथ नरक में अनन्तकाल, इन दोनों में से चुनाव करने की पूरी स्वतंत्रता परमेश्वर ने हमें दी है!

क्या आप परमेश्वर को जीवन के एकमात्र स्रोत के रूप में देखते हैं?

भले ही परमेश्वर हमारे बिना रह सकते हैं, परन्तु हम परमेश्वर के बिना जीवित नहीं रह सकते हैं; फिर भी परमेश्वर ने चुना कि वह हमारे साथ ही रहें!

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, मुझे अपने आप को नियमित रूप से यह स्मरण दिलाने में मदद कीजिए कि मैं केवल इसलिए जीवित हूँ क्योंकि आप अस्तित्व में हैं। आमीन!

 

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

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