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Showing posts from January, 2021

परमेश्वर भले हैं !

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B. A. Manakala निश्चय ही परमेश्वर , इस्राएल के लिए अर्थात् शुद्ध मन वालों के लिए भला है। भजन 73:1 मेरे एक मित्र ने हमारे एक शिक्षक के बारे में मुझे बताया , ' वह शिक्षक बहुत अच्छे हैं ' । लेकिन एक अन्य मित्र ने मुझे उसी शिक्षक के बारे में एक विपरीत राय देकर कहा , ' वह शिक्षक बहुत बुरे हैं ' । हम सभी यह अनुमान लगा पाएँगे कि उस शिक्षक के बारे में ये राय अलग-अलग क्यों थीं। यहाँ आसाफ कहता है , ' परमेश्वर इस्राएल के लिए भले हैं ' ( भजन 73:1)। परन्तु हम सभी जानते हैं कि इस्राएल के लोग कितनी बार परमेश्वर के विरुद्ध कुड़कुड़ाते रहे जब उन्हें पृथ्वी पर कठिन समय का सामना करना पड़ा जिनका सामना वे नहीं करना चाहते थे। परमेश्वर भले हैं , इसलिए नहीं कि वह हमारी सभी ज़रूरतों को पूरी करते हैं , या वह हमें हर तरह के खतरों से बचाते हैं , या वह हमें पृथ्वी पर सौ वर्ष की आयु तक जीवित रखते हैं ; बल्कि इसलिए कि हमारे जीवन की यात्रा पूरी करके हमें अनन्त जीवन देने में वह विश्वासयोग्य और सक्षम हैं , चाहे इस पृथ्वी पर हम कोई भी कठिनाई का सामना क्यों न करे

महिमामय नाम!

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B. A. Manakala उसका महिमामय नाम सर्वदा धन्य रहे , और सारी पृथ्वी उसकी महिमा से परिपूर्ण हो जाए। आमीन फिर आमीन! भजन 72:19 मेरा एक मित्र है जिसका नाम ' ग्लोरियस ' (Glorious) है। पहली बार जब मैंने उसका नाम पूछा तब मुझे फिर से पूछना पड़ा कि मैंने सही सुना या नहीं। मुझे अपने मित्र ग्लोरियस से मिलने और बात करने के लिए सम्मानित महसूस हुआ। हमारे पास ऐसा ' कोई ' व्यक्ति है जिनका नाम महिमामय है जो सदा के लिए स्तुति-प्रशंसा के योग्य हैं! (भजन 72:19) मैं एक ऐसे मित्र को जानता हूँ , जिसके नाम का अर्थ अच्छा न होने की वजह से जब वह बड़ा हुआ तब उसने खुद से अपना नाम बदल दिया। कभी-कभी परमेश्वर ने भी स्वयं ही लोगों के नाम बदले हैं: अब्राम से अब्राहम , सारै से सारा , याकूब से इस्राएल। मुझे यकीन नहीं है कि मेरे नाम का किसी भी भाषा में कोई भी अर्थ है। मेरे माता-पिता ने मुझे यह कभी नहीं बताया कि जब उन्होंने मेरा नाम रखा था , तब उन्होंने कोई अर्थ सोचा था। परमेश्वर आपके नाम को महान् करेंगे! (उत्प 12:2) परमेश्वर ने आपका नाम अपनी हथेली पर खोद कर लिख लिया है! (यशा 49:16

परमेश्वर ही अद्भुत कार्य करते हैं !

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B. A. Manakala यहोवा परमेश्वर , इस्राएल का परमेश्वर , धन्य हो: अद्भुत कार्य केवल वही करते हैं। भजन 72:18 विश्व के सात अजूबों में से एक माना जाने वाला ताजमहल को पूरा बनाने में 17 वर्ष का समय , 22,000 मज़दूरों और 1,000 हाथियों का परिश्रम लगा। मनुष्य ने पृथ्वी पर कई अद्भुत चीज़ें बनाई है। परन्तु हम केवल परमेश्वर के द्वारा किए हुए अद्भुत कार्यों पर ही लगातार आश्चर्य कर सकते हैं! परमेश्वर ने हमें जो थोड़ा ज्ञान दिया है , उसका उपयोग करके हमने पृथ्वी पर सारे अजूबे बनाए हैं। जब परमेश्वर अनुमति देते हैं , तभी हम अजूबा बना सकते हैं। परमेश्वर ने बाबेल के अजूबे को पूरा नहीं होने दिया (उत्पत्ति 11)। परन्तु परमेश्वर ने नूह को एक जहाज़ जैसे अजूबे का निर्माण करने की अनुमति दी , जिस जहाज़ के द्वारा एक बाढ़ के दौरान उसके परिवार और पृथ्वी पर की सभी प्रकार के जानवरों की एक-एक जोड़ी को बचा लिया गया। और उस बाढ़ में अन्य सभी लोग और जानवर मारे गए! परमेश्वर के कई अद्भुत कार्यों की हमारे द्वारा खोज करना अब भी बाकी है! मैं ऐसे किन अद्भुत कार्यों को देखता हूँ जो परमेश्वर करते हैं ?

सारी जातियाँ उनके द्वारा धन्य हों !

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B. A. Manakala उसका नाम सदा-सर्वदा बना रहे , जब तक सूर्य है , उसका नाम बढ़ता रहे। उसके कारण लोग अपने को धन्य मानें , सारी जातियाँ उसे धन्य कहें। भजन 72:17 गणित के शिक्षक ने कक्षा को एक प्रश्न हल करने को दिया। सभी छात्रों ने उसे हल करने के लिए काफी समय तक बहुत मेहनत की। अन्त में , उनमें से एक निपुण छात्र ने उस प्रश्न का हल ढूँढ़ निकाला! तब शिक्षक ने सभी छात्रों को एक-एक करके उसके पास भेजा , यह जानने के लिए कि उसने उस प्रश्न को कैसे हल किया। अन्त में , कक्षा के सभी छात्रों ने उसे हल किया। यह कितनी अद्भुत इच्छा है कि सारी जातियाँ उनके द्वारा धन्य हो जाएँ (भजन 72:17)। परमेश्वर ने अब्राहम को पृथ्वी की सारी जातियों के लिए एक आशीष बनाया (उत्पत्ति 22:18)। जो हमें शाप देते हैं , उन लोगों को भी हमें आशीष देना है (लूका 6:28)। यदि हम स्वयं किसी समस्या को हल करते हैं तो हमारे आस-पास के अन्य लोगों की उसी तरह की समस्या को हल करने में मदद करना आसान होता है। हमें जो आशीष स्वर्ग से मिली है , उसी के द्वारा ही सबके लिए ऐसा आशीष बनना हमारे लिए सम्भव है। क्या हम यह इच्छा रखते

राजा अमर रहे !

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B. A. Manakala अतः वह जीवित रहे , और शेबा का सोना उसे दिया जाए ; लोग उसके लिए निरन्तर प्रार्थना करें , और दिन भर उसे धन्य कहते रहें। भजन 72:15 1461 में , जब चार्ल्स ( Charles) VII की मृत्यु हो गई थी , तब ' ले रोई एस्ट मोर्ट , विवे ले रोई! ' (Le Roi est mort, Vive le Roi!) एक फ्रेंच ( French) वाक्यांश जिसका अर्थ है , ' राजा की मृत्यु हो गई है , राजा अमर रहे ', बोला जाता था। ' राजा अमर रहे ' या ' परमेश्वर राजा को बचा लें ' इन शब्दों का उपयोग कई बार बाइबल में किया गया है (1 शमूएल 10:24 ; 2 शमूएल 16:16)। मतूशेलह 969 वर्ष जीवित रहा (उत्प 5:27) ; परन्तु आज हम शायद ही किसी को देख पाएँगे , जो 100 साल तक भी जीवित रहे। जबकि सुलैमान के लिए भी यह कामना की गई थी कि ' राजा अमर रहे ', परन्तु ऐसा नहीं लगता कि वह 80 वर्ष से भी अधिक जीवित था! जबकि दीर्घायु एक आशीष है , फिर भी हम पृथ्वी पर कितने समय तक जीवित रहते हैं , यह वास्तव में अर्थपूर्ण नहीं है ; परन्तु हम पृथ्वी पर रहते हुए अपने जीवन में जो कुछ करते हैं वो महत्वपूर्ण है। एक बार हमारे जन्म लेन

दरिद्र परमेश्वर के लिए अनमोल हैं !

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B. A. Manakala वह उनका प्राण अत्याचार और अन्धेर से छुड़ाएगा , और उनका लहू उसकी दृष्टि में अनमोल ठहरेगा। भजन 72:14 बहुत समय पहले मैं एक विवाह के भोज में शामिल हुआ था। हमेशा की तरह शामिल हुए सभी लोग अच्छे पोशाक में थे और भोजन के दौरान अपनी बातचीत में व्यस्त थे। उनमें से कुछ लोग अपना भोजन करने में व्यस्त थे। मैंने देखा कि उसमें से एक व्यक्ति एक भिखारी को भोजन परोस रहा था , जो उस दावत के स्थान के बाहर खड़ा था। जब मैंने उस भिखारी को भोजन का आनन्द लेते देखा , तब मुझे आश्चर्य हुआ कि क्या इस व्यक्ति ने पहले कभी ऐसा भोजन किया था। दरिद्र परमेश्वर के लिए अनमोल हैं इसलिए वह उनके प्राण को अत्याचार और अन्धेर से छुड़ाते हैं (भजन 72:13-14)। शायद , हम साधारण तौर पर कुछ ही विशेष लोगों के साथ जुड़े रहना चाहते हैं , और दरिद्रों की उपेक्षा करते हैं। एक बार प्रभु यीशु ने एक धर्मी व्यक्ति से कहा , जो धनी था , कि वह अपनी सारी सम्पत्ति बेचकर कंगालों को दे दे (मत्ती 19:21)। प्रभु यीशु ने हमारे अपने ही सम्बन्धियों और धनी पड़ोसियों को भोज के लिए आमन्त्रित न करने का सुझाव भी दिया , बल्कि द

तरस खाना और बचाना

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B. A. Manakala वह कंगाल और दरिद्र पर तरस खाएगा , और दरिद्रों के प्राण बचाएगा। भजन 72:13 एक बार एक व्यक्ति पर लुटेरों ने हमला कर के उसे सड़क पर घायल अवस्था में अकेला छोड़ दिया। उस मार्ग से एक याजक आ रहा था , उसने उसे देखा तो कतरा कर चला गया। तब मन्दिर के एक सहायक ने उस व्यक्ति को वहाँ पड़ा पाया , परन्तु वह भी अपने रास्ते पर चला गया। फिर एक दयालु व्यक्ति वहाँ आया , उसे प्राथमिक चिकित्सा ( first aid) देकर उसे अस्पताल ले गया , और उसके पूर्ण उपचार के लिए भुगतान करने का वादा भी किया। किसी की परिस्थिति पर तरस खाना एक बात है , और उस परिस्थिति में से उसे बचाना एक अलग बात है। बहुत से लोग गरीबों और ज़रूरतमंदों पर तरस खाते हैं ; परन्तु बहुत कम लोग उन्हें बचाने का प्रयत्न करते हैं। ऊपर दिए गए वचन में दरिद्रों पर तरस खाने और उन्हें बचाने के बारे बताया गया है (भजन 72:13)। क्या मुझे ज़रूरतमंदों पर केवल तरस ही आता है , या जब भी मुझे अवसर मिले , तब क्या मैं उनकी मदद करता हूँ ? यह अच्छा है यदि हम दरिद्रों पर तरस खाते हैं ; परन्तु यदि हम उन्हें बचाने के लिए कुछ कर सकते

सब राजा दण्डवत् करेंगे!

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B. A. Manakala सब राजा उसे दण्डवत् करें , सब जातियाँ उसके अधीन हो जाएँ। भजन 72:11 एक बार एक भीड़ भरी सड़क से गुज़रते समय मैंने देखा कि उस सड़क से गुज़रने वाले ज़्यादातर लोग एक जगह पर रुक कर एक विशेष दिशा की ओर देखते हुए एक पल के लिए अपना सिर झुकाते हैं और फिर अपने रास्ते पर चले जाते हैं। मुझे यह समझने में कुछ समय लगा कि उस तरफ एक मंदिर था। जैसा कि ऊपर दिए गए मुख्य वचन में बताया गया है , विभिन्न राष्ट्रों के राजदूत सुलैमान की बुद्धि की बातें सुनने के लिए आए (1 राजा 4:34)। जबकि सुलैमान को सबसे बुद्धिमान व्यक्ति माना जाता था , परन्तु एक ही हैं जो राजाओं के राजा हैं (प्रका 17:14)। एक दिन प्रत्येक घुटना प्रभु के सम्मुख टिकेगा (रोमि 14:11)। फिर भी , प्रभु यीशु के द्वारा हमें दिए गए अधिकार के बारे में कभी न भूलें ; हम प्रभु यीशु के साथ स्वर्गीय स्थानों में बैठाए गए हैं और हमारे आस-पास दिखाई देने वाली सभी दुष्ट ताकतों पर हमें अधिकार भी दिया गया है। और एक दिन हम जगत पर न्याय करेंगे (1 कुरि 6:2)। जब मैं अपने अधिकार का प्रयोग करता हूँ तब क्या मैं राजाओं के राजा को

सर्वत्र और सदैव शासन करना!

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B. A. Manakala उसके दिनों में धर्मी फूले-फलें , और जब तक चन्द्रमा टल न जाए , असीम शान्ति बनी रहे। वह समुद्र से समुद्र तक , तथा महानद से पृथ्वी की छोर तक प्रभुता करे। भजन 72:7-8 स्कूल के दिनों में कुछ दोस्त वादा करते थे , ' मैं हमेशा के लिए तुम्हारा दोस्त बना रहूँगा ; मैं तुम्हें कभी नहीं भूलूँगा ' । लेकिन अधिकतर मामलों में , जब से मैंने स्कूल छोड़ा है , तब से ही मैंने उन्हें कभी नहीं देखा और उनमें से किसी से भी मेरा कोई सम्पर्क नहीं है! जब तक चन्द्रमा टल न जाए तब तक और महानद से पृथ्वी की छोर तक सुलैमान का शासनकाल चलता रहे , ये वचन यही आशा करते हैं (भजन 72:7-8)। ' सर्वत्र ' (everywhere) और ' सदैव ' (forever) ऐसे शब्द हैं जिनका प्रभाव अनन्त है। कोई भी व्यक्ति या राजा कभी भी सर्वत्र नहीं पहुँच सकता है या सदैव पृथ्वी पर शासन कर सकता है! यहोवा सदा सर्वदा राज्य करते रहेंगे (निर्ग 15:18)। प्रभु यीशु युगानुयुग राज्य करेंगे (प्रका 11:15) ; और हम , उनकी सन्तान , प्रभु यीशु के साथ सदा के लिए राज्य करेंगे (दानि 7:27)! परन्तु इसे कभी न भूलें कि

स्फूर्तिदायक शासन

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B. A. Manakala वह कटी हुई घास पर वर्षा के समान , और भूमि सींचने वाली बौछार के समान उतर आए। भजन 72:6 भारत में किसान ज़मीन की जुताई और फसल की कटाई के बीच अलग-अलग समय पर वर्षा होने की प्रतीक्षा करते हैं। कभी-कभी वे बहुत लम्बे समय तक प्रतीक्षा करते हुए वर्षा के लिए तरसते हैं। अन्त में , जब वर्षा होती है तब उनको राहत होती है और वे आभारी होते हैं। वर्षा से उनकी फसल पर बहुत असर पड़ता है। वह कटी हुई घास पर वर्षा के समान , और भूमि सींचने वाली बौछार के समान ही राजा का शासन भी स्फूर्तिदायक होने के लिए भजनकार प्रार्थना करता है (भजन 72:6)। अब्राहम के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञा थी कि वह पृथ्वी के सब घरानों के लिए एक आशीष होगा (उत्प 12:3)। जो प्रभु यीशु ने हमारे विषय में कहा कि हम ' पृथ्वी के नमक ' और ' जगत की ज्योति ' हैं , यह उसी के सदृश है। क्या हम अपनी बातचीत , कर्म और शासन में स्फूर्तिदायक हैं ? जब हम स्वर्गीय स्फूर्तिदायक शासन के अधीन होते हैं तब हम दूसरों को भी ताज़गी देते हैं। प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी , सदा अपने आसपास के सभी लोगों के लिए स

सदा परमेश्वर का भय मानें!

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B. A. Manakala जब तक सूर्य और चन्द्रमा बने रहेंगे , लोग पीढ़ी से पीढ़ी तक तेरा भय मानते रहें! भजन 72:5   जब मैं पहाड़ों पर गाड़ी चलाता था तब एक जगह थी जहाँ बड़ी चट्टानों में से सड़क निकाला गया था। आरम्भ में चट्टानी सुरंग में से गाड़ी चलाना डरावना लगता था , क्योंकि यह मज़बूत नहीं दिखता था। लेकिन वर्षों बाद , जब मैं गाड़ी चलाते हुए कई बार वहाँ से गुज़रा , तब सुरंग या मेरे ऊपर की चट्टान के बारे में मैं बिलकुल भी चिन्तित नहीं होता था!   हमने कई वर्षों पूर्व प्रभु को अपने हृदय में स्वीकार किया होगा। परन्तु समय के साथ-साथ प्रभु के प्रति हमारा भय कम हुआ होगा। दुनिया में ऐसी कई बातें हैं जिनसे हम भयभीत होते हैं - चाहे वो , बीमारी , महामारी , युद्ध , सुरक्षा या निजता हो सकता है। यदि हम परमेश्वर का भय मानते हैं तो इनमें से कोई भी हमें भयभीत करने में कामयाब नहीं होगा। जब हम अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानते रहें , तब परमेश्वर सदा हमारे जीवन को आशीष देते हुए हमें जीवित रखते हैं (व्यव 6:24) । यहोवा का भय मानना आयु को बढ़ाता है (नीति 10:27) । बाकी सब बातों का भय हम

दरिद्रों की रक्षा करें

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B.A. Manakala वह प्रजा के पीड़ितों का न्याय चुकाए, वह दरिद्रों की सन्तान की रक्षा करे, और अत्याचारी को कुचल डाले। भजन 72:4 एक बार प्रभु यीशु मन्दिर में दान की पेटी के पास बैठ गए। जबकि कई धनी लोगों ने बहुत सारा धन उस पेटी में डाला, तो भी प्रभु यीशु का ध्यान एक गरीब विधवा की ओर ही गया, जिसने सिर्फ दो छोटे सिक्कों को पेटी में डाला था। प्रभु यीशु के अलावा वहाँ पर किसी और का ध्यान उस पर नहीं गया होगा। भजनकार यहाँ तीन बातों के बारे में कहता है जो हम दरिद्रों के लिए कर सकते हैं:  1) न्याय करना, 2) रक्षा करना और 3) अत्याचारी को कुचलना (भजन 72:4)।  हर किसी को दरिद्रों की मदद करने का मन नहीं होता। परन्तु यदि हम प्रभु यीशु के सच्चे अनुयायी हैं तो हमारे पास उनकी मदद करने का मन अवश्य होना चाहिए। यदि हम ज़रूरतमंद लोगों के लिए कुछ नहीं करेंगे तो हम बेचैन महसूस करेंगे। गरीबों को अक्सर न्याय और अधिकारों से वंचित किया जाता है; उनमें से बहुत से गरीब हैं और उनके पालन-पोषण के लिए दूसरों की मदद की ज़रूरत है। उन्हें दुष्ट के हाथों से छुड़ाने के लिए किसी की आवश्यकता होती है (भजन 82:3-4)। जो कंगाल को सताता है, व

पर्वतों पर समृद्धि

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B. A. Manakala इन लोगों के लिए पर्वतों से समृद्धि के , और पहाड़ियों से धार्मिकता के फल उत्पन्न हों। भजन 72:3 मेरा जन्म और पालन-पोषण समतल क्षेत्र में हुआ था। यहाँ तक कि इस क्षेत्र में छोटी पहाड़ियों को भी खेती के लिए उपयोग नहीं किया जाता था और किसी कारण से बेकार भूमि माना जाता था। हमारे दृष्टिकोण से देखें तो कभी-कभी वे बंजर भूमि की तरह दिखते हैं , परन्तु परमेश्वर पर्वतों और पहाड़ियों को समृद्ध और उपजाऊ बना सकते हैं (भजन 72:3)। मुझे कई वर्षों तक पर्वतों में रहने का अवसर मिला ; परन्तु वे पर्वत फलों , सब्ज़ियों और कई तरह की दाल से उपजाऊ थे। परमेश्वर के साथ अंधकार में भी प्रकाश होता है , निराशा में भी आशा होती है , बीमारी में भी अच्छा स्वास्थ्य होता है और पर्वतों पर भी समृद्धि होती है। भूमि पर कठोर परिश्रम करने (नीति 12:11) , और देख-भाल करने (उत्प 2:15) की ज़िम्मेदारी हमारी है , जो समृद्धि प्राप्त करने में योगदान देता है। परमेश्वर हमें और अधिक समृद्ध बनाने के लिए हमारे साथ परिश्रम करना चाहते हैं। क्या मैं समृद्धि की ओर बढ़ने में अपनी भागीदारी निभाने के लिए तैय

प्रेम और न्याय

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B. A. Manakala हे परमेश्वर , राजा को अपने न्याय , और राजपुत्र को अपनी धार्मिकता प्रदान कर। भजन 72:1 एक बार एक स्वामी ने मज़दूरों को अपनी दाख की बारी में काम पर लगाया। एक को सुबह में , दूसरे को दोपहर में , किसी अन्य को दिन के अन्त में - इस तरह उन सभी को दिन के अलग-अलग समय पर काम पर लगाया गया था। उनके आश्चर्य के लिए , उस दिन के अन्त में जब स्वामी ने उन्हें मज़दूरी दी , तब उन सबको एक समान मज़दूरी दी गई! ऊपर दी हुई कहानी से हम यह कल्पना कर सकते हैं कि वह स्वामी अन्यायी है। जैसा हम चाहते हैं , ज़रूरी नहीं है कि परमेश्वर का न्याय भी वैसा ही हो। सच्चा न्याय और प्रेम साथ-साथ चलते हैं। जब धनी और निर्धन के साथ व्यवहार करने की बात आती है , तब न्याय एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साधारण तौर पर निर्धन लोगों को न्याय नहीं मिलता है। इसलिए , अगले वचन में सुलैमान निर्धनों के साथ उचित रूप से व्यवहार करने की प्रार्थना करता है (भजन 72:2)। भले ही परमेश्वर सच्चे न्यायी हैं , तो भी निर्धन हमेशा हमारे मध्य में रहेंगे (मत्ती 26:11)। मेरा मानना है कि यह ऐसा इसलिए है क्योंकि परमेश्वर हम