स्फूर्तिदायक शासन

B. A. Manakala

वह कटी हुई घास पर वर्षा के समान, और भूमि सींचने वाली बौछार के समान उतर आए। भजन 72:6

भारत में किसान ज़मीन की जुताई और फसल की कटाई के बीच अलग-अलग समय पर वर्षा होने की प्रतीक्षा करते हैं। कभी-कभी वे बहुत लम्बे समय तक प्रतीक्षा करते हुए वर्षा के लिए तरसते हैं। अन्त में, जब वर्षा होती है तब उनको राहत होती है और वे आभारी होते हैं। वर्षा से उनकी फसल पर बहुत असर पड़ता है।

वह कटी हुई घास पर वर्षा के समान, और भूमि सींचने वाली बौछार के समान ही राजा का शासन भी स्फूर्तिदायक होने के लिए भजनकार प्रार्थना करता है (भजन 72:6)। अब्राहम के लिए परमेश्वर की प्रतिज्ञा थी कि वह पृथ्वी के सब घरानों के लिए एक आशीष होगा (उत्प 12:3)। जो प्रभु यीशु ने हमारे विषय में कहा कि हम 'पृथ्वी के नमक' और 'जगत की ज्योति' हैं, यह उसी के सदृश है।

क्या हम अपनी बातचीत, कर्म और शासन में स्फूर्तिदायक हैं?

जब हम स्वर्गीय स्फूर्तिदायक शासन के अधीन होते हैं तब हम दूसरों को भी ताज़गी देते हैं।

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, सदा अपने आसपास के सभी लोगों के लिए स्फूर्तिदायक बने रहने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!

 

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

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