असंख्य !

B. A. Manakala

परमेश्वर के रथ बीस हज़ार, वरन् हज़ारों हज़ार हैं; प्रभु अपनी पवित्रता में, जैसे सीनै पर्वत पर वैसे ही उनके मध्य है। भजन 68:17

कभी-कभी जब हम अपने छोटे बच्चों से पूछते हैं कि 'तुम हमसे कितना प्यार करते हो?', तो वे जवाब में, 'सौ-हज़ार, सौ-हज़ार, सौ-हज़ार...' और ऐसा बहुत बार कहते हैं! यह सिर्फ हमारे लिए उनके असीमित प्रेम को व्यक्त करता है।

क्या पृथ्वी पर ऐसा कुछ है जो असंख्य है? समुद्र पर की रेत? हमारे सिर के बाल? आकाश में तारे? परन्तु, शायद वे सभी गिने या मापे जा सकते हैं। 'असंख्य' एक ऐसी धारणा नहीं है जिसे हम अपनी बुद्धि से समझ सकते हैं; परन्तु परमेश्वर समझते हैं। वह कौन हैं, जिनका न ही कोई आरम्भ और अन्त है। वह कौन हैं, जो आपके जन्म से भी पहले से आपको जानते थे? वह कौन हैं, जिन्होंने ब्रह्मांड की सृष्टि की? केवल परमेश्वर के अलावा, वह कौन हैं, जिनके पास असंख्य रथ हो सकते हैं? परमेश्वर के असंख्य रथ, विजय की उनकी असीमित सामर्थ को दर्शाती है। संख्या में कई अनोखे तरकीब होते हैं जो हमें अचम्भित करते हैं। और हम अन्त तक कई चीज़ों की खोज करते ही रहेंगे; फिर भी कई और अधिक चीज़ें भी होंगी जो मनुष्य जाति कभी भी खोज नहीं पाएँगे!

आप परमेश्वर की सामर्थ के बारे में और अधिक कैसे समझेंगे?

'असंख्य' भी 'उनके' लिए गणनीय संख्या है, जो आरम्भ और अन्त हैं!

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, प्रतिदिन आपकी सामर्थ के बारे में अधिक से अधिक जानने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!

 

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

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