थके हुए हैं ?

B. A. Manakala

मैं पुकारते पुकारते थक गया, मेरा गला सूख गया है; अपने परमेश्वर की बाट जोहते जोहते मेरी आँखें धुँधली पड़ गई हैं। भजन 69:3

दानिय्येल परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए नहीं थका था। फिर चाहे कुछ भी हो वह प्रतिदिन तीन बार प्रार्थना करता रहा! उसने ऐसा तब भी किया जब उसके जीवन में दर्दभरे पल भी थे; जब सब कुछ सही चल रहा था तब भी उसने वैसे ही प्रार्थना की।

हमारा थकना स्वाभाविक है। हम कभी-कभी परमेश्वर से किसी विषय के लिए प्रार्थना करते हैं कि उसमें एक अलग तरीके से बदलाव दीजिए, और वो भी एक निश्चित समय पर जैसा हम चाहते हैं। यह हमारे लिए प्रार्थना करते-करते थकने का एक कारण हो सकता है। परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का, बिलकुल जैसा हम चाहते हैं, उत्तर दे भी सकते हैं या नहीं भी दे सकते हैं। जैसा हम उम्मीद करते हैं, कभी-कभी हमारी प्रार्थनाओं के लिए परमेश्वर की प्रतिक्रिया उसी तरह से नहीं हो सकती है। एक निश्चित तरीके से हमारी परिस्थितियों के लिए परमेश्वर की प्रतिक्रिया के माध्यम से एक विशेष उद्देश्य को पूरा करना हो सकता है।

आप यह कैसे समझेंगे कि परमेश्वर जानते हैं और आपकी प्रार्थना का उत्तर देने का सबसे बेहतर तरीका चुनते हैं?

हमारी प्रार्थनाएँ परमेश्वर की योजनाओं और उद्देश्यों को नहीं बदल सकतीं; परन्तु वे हमें बदलते हैं!

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, जब भी मुझे थकावट महसूस होती है, तब आप मेरा हाथ थाम लीजिए। और मुझे अपने जीवन के लिए आपके उद्देश्यों के प्रति समर्पित रहने में सहायता कीजिए। आमीन!

 

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

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