जो अपने दोषपूर्ण मार्गों पर चलना पसन्द करते हैं!
B. A. Manakala
निश्चय, परमेश्वर अपने शत्रुओं के सिर को, और जो अपने दोषपूर्ण मार्गों पर चलना पसन्द करते हैं, उनकी बालदार खोपड़ी को चूर चूर कर डालेगा। भजन 68:21
"नहलाई हुई सूअरनी कीचड़ में लौट जाती है" यह बाइबल में दी हुई एक कहावत है (2 पतरस 2:22)। नहलाने के बाद भी सूअरनी अपने स्वभाव से परिवर्तित नहीं होती है। परन्तु जब हम परमेश्वर की सन्तान बन जाते हैं तो हमारे अन्दर एक परिवर्तन होता है।
सामान्य तौर पर, हम दोषपूर्ण मार्गों पर चलना नहीं चाहते हैं। परन्तु जो लोग परमेश्वर से प्रेम भी करते हैं, वे गुप्त रूप से अपने पापपूर्ण मार्गों को पसन्द करते हुए उन पर चल सकते हैं। परन्तु ऊपर दिए गए वचन से यह स्पष्ट होता है कि यह एक ऐसी बात है जिससे परमेश्वर घृणा करते हैं और उन लोगों को इसके परिणाम को भुगतना पड़ेगा (भजन 68:21)। भले ही हम उद्धार पाए हुए हों, फिर भी पाप करने की आज़ादी को परमेश्वर हमसे नहीं हटाते हैं। इसलिए, हमें धार्मिकता के मार्ग को पसन्द करते हुए स्वेच्छा से और गम्भीरतापूर्वक उस पर चलने की आवश्यकता है। पवित्र आत्मा जो हम में वास करते हैं, वह धार्मिकता के मार्ग पर चलने के लिए हमें दृढ़ करेंगे। स्मरण रखें, जब तक कि हम पूरी तरह से वचनों के द्वारा नहीं सीखते हैं या जब तक कि कोई अन्य धर्मी व्यक्ति हमारे पापपूर्ण मार्गों की ओर इशारा नहीं करते हैं, तब तक कभी-कभी हम अपने पापपूर्ण मार्गों की पहचान भी नहीं कर पाते हैं।
यदि आप किसी भी दोषपूर्ण मार्गों पर चल रहे हैं तो आप स्वयं की जाँच कैसे करेंगे? आप स्वेच्छा से उन मार्गों से कैसे दूर होंगे?
जिन लोगों के जीवन वास्तव में परिवर्तित हुए हैं, वे सार्वजनिक और गुप्त दोनों तरह से पापपूर्ण मार्गों से निश्चय ही घृणा करेंगे!
प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, मुझे अपने स्वयं के दोषपूर्ण मार्गों को प्रकट कीजिए और इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, उन गलत मार्गों से मैं दूर हो जाऊँ। आमीन!
(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)
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