प्रतिदिन परमेश्वर की बाँहों में
B. A. Manakala
धन्य हो प्रभु, जो प्रतिदिन हमारा बोझ उठाता है, परमेश्वर, जो प्रतिदिन हमें अपनी बाँहों में थाम लेता है। भजन 68:19
हर दिन जब हमारी एक वर्षीय बेटी को नींद आती है तब वह अपनी माँ के लिए रोने लगती है। ऐसा लगता है मानो माँ की बाँहें उसके सोने के लिए सबसे आरामदायक जगह है।
यह कितनी अद्भुत बात होगी यदि हम हमेशा यह पहचान कर याद रख सकें कि हमें सबसे सामर्थी हाथों ने थामा हुआ है! इसके अलावा ऐसी कोई अन्य जगह नहीं है जहाँ हमारे पास ऐसी महान् सुरक्षा हो सकती है। ऐसी कोई ताकत नहीं है जो हमें परमेश्वर की बाँहों से छीन सकता है! ऐसा या तो तब होता है जब हमें यह एहसास नहीं होता है कि हम परमेश्वर की बाँहों में सुरक्षित हैं, या जब हम परमेश्वर की बाँहों की सामर्थ के बारे में नहीं समझते हैं, तब हम चिंतित हो जाते हैं।
आप कितना महसूस करते हैं कि प्रत्येक दिन आप परमेश्वर की बाँहों में हैं?
जब परमेश्वर ने हमें थामा हुआ है, तब हमें अपना बोझ खुद उठाने की कोई आवश्यकता नहीं है!
प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, प्रतिदिन आप मुझे अपनी बाँहों में थामे रहते हैं, यह पहचानने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!
(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)
Comments
Post a Comment