परमेश्वर स्वयं अपनी प्रजा को शक्ति देते हैं।
B. A. Manakala
हे परमेश्वर, तू अपने पवित्रस्थान में भययोग्य है। इस्राएल का परमेश्वर स्वयं अपनी प्रजा को शक्ति और सामर्थ्य देता है। परमेश्वर धन्य हो! भजन 68:35
पॉल (Paul) नाम के एक व्यक्ति थे। उनकी कई ज़रूरतें थीं। वह कभी-कभी बिना कुछ भोजन खाए भी रहते थे। कभी-कभी उनके पास जीवित रहने के लिए कुछ भी नहीं होता था! ऐसे समय में भी उन्होंने कहा: 'जो मुझे सामर्थ प्रदान करता है, उसके द्वारा मैं सब कुछ कर सकता हूँ, या यहाँ तक कि बिना किसी वस्तु के भी मैं जीवित रह सकता हूँ'।
परमेश्वर स्वयं अपनी प्रजा को शक्ति और सामर्थ्य देते हैं (भजन 68:35)। हम अक्सर परमेश्वर की शक्ति को सही रीति से नहीं समझते हैं। हमें ऐसा लगता है कि परमेश्वर की शक्ति केवल हमारे कार्यों को पूरा करने के लिए ही है, जैसे कि युद्ध जीतना या शत्रु को पराजित करना। परन्तु हम में जो परमेश्वर की शक्ति है, वो हमें उन सभी प्रकार की परिस्थितियों पर विजय पाते हुए उन में से होकर जाने में सक्षम बनाती है, जिनमें से हमें पृथ्वी पर रहते हुए गुज़रने होते हैं। इसमें बीमारी, निर्धनता, एकान्तता, दु:ख आदि शामिल हो सकते हैं।
क्या आपने परमेश्वर की आवाज़ सुनी है जिन्होंने कहा, 'मेरा अनुग्रह तुम्हारे लिए पर्याप्त है?'
मनुष्य यह सोचता है कि उसके पास पर्याप्त शक्ति है, जबकि उसके सोचने की शक्ति भी परमेश्वर की ओर से है!
प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, मुझे उस शक्ति के लिए धन्यवाद देना सिखाइए जो आपकी वजह से मेरे पास है। आमीन!
(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)
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