सबसे उत्तम भेंट चढ़ाना

B. A. Manakala

मैं तुझे मोटे मोटे पशुओं की होमबलि मेढ़ों की धूप के साथ चढ़ाऊँगा; मैं बैलों और बकरों की बलि चढ़ाऊँगा। भजन 66:15

एक बार एक व्यक्ति प्रार्थना सभा में शामिल हुआ। जब भेंट अर्पित करने का समय आया तो वह इतना दुखी था क्योंकि अर्पण करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। अंत में, उन्होंने अपने हाथ की घड़ी को उतारकर उसे भेंट की पेटी में डाल दिया।

परमेश्वर हमें कभी भी कुछ भी भेंट देने के लिए दबाव नहीं डालेंगे, तो फिर सबसे उत्तम भेंट चढ़ाना तो दूर की बात है। हमें यह भी ध्यान देना चाहिए कि कोई भी सीधे परमेश्वर को कुछ भी नहीं दे सकता है, परन्तु वो भेंट लोगों के माध्यम से परमेश्वर को दिए जाते हैं। इसलिए, सही मनोभाव से भेंट देने और प्राप्त करने के लिए स्वेच्छा से तैयार रहें। केवल वो सब कुछ लेते ही न रहें जो आपको दिए जाते हैं; केवल उन्हीं वस्तुओं को ही न देते रहें, जिनकी आपको अब आवश्यकता नहीं है। इससे पहले कि हम परमेश्वर को या अन्य लोगों को कुछ भेंट दें, परमेश्वर ने हमें जो उपहार दिए हैं, उसके बारे में विचार करने में हमें बहुत मदद मिलेगी।

आप अपनी भेंटों और उपहारों की उत्तमता और अधिकता को कैसे परिभाषित करते हैं?

जब हम किसी भी व्यक्ति के लिए कोई उपहार खरीदते हैं, तब अपने लिए खरीदने से भी उत्तम उपहार ही चुनने का प्रयत्न करें!

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, आपको और अन्य लोगों को सही मनोभाव से भेंट देने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!

 

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

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