हमारे बलिदान
B. A. Manakala
मैं होमबलि लेकर तेरे भवन में आऊँगा; मैं तेरे लिए अपनी उन मन्नतों को पूरी करूँगा। भजन 66:13
एक बार मेरे एक जन्मदिन पर मेरे छोटे बेटे ने आकर मुझसे कहा, "पप्पा, मेरे पास आपके लिए एक विशेष उपहार है"। उसने मुझे कागज़ का एक फटा हुआ टुकड़ा सौंप दिया। आज, मुझे नहीं पता कि उसका वो उपहार कहाँ है। लेकिन उसमें लिखे संदेश को मैं कभी नहीं भूल सकता: "पप्पा, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ"।
हो सकता है कि हममें से कुछ लोगों ने परमेश्वर को बहुत सी चीज़ें भेंट की हों। प्रभु से की गई मन्नतों को पूरा करना महत्वपूर्ण है (भजन 66:13); परन्तु यह और भी अधिक महत्वपूर्ण है कि यह प्रेम से किया जाए। भेंट की उत्तमता और अधिकता की तुलना में मनोभाव अधिक महत्वपूर्ण है। परमेश्वर हर्ष से देने वाले से ही प्रेम करते हैं (2 कुरि 9:7)। परमेश्वर के लिए अपने बलिदान के बारे में सोचें और उसे अपने मनोभाव पर प्रकट करें।
हम अपनी भेंटों के द्वारा परमेश्वर को क्या संदेश देते हैं?
परमेश्वर के लिए अनिच्छा से भेंट न चढ़ाते हुए, सर्वश्रेष्ठ ही अर्पित करें!
प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, हमेशा प्रेमपूर्वक ही भेंट अर्पण करने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!
(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)
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