परमेश्वर के आश्चर्यकर्म

B. A. Manakala

उसने समुद्र को सूखी भूमि बना दिया; उन्होंने महानद को पैदल ही पार किया: आओ हम उसमें आनन्द मनाएँ! भजन 66:6

मैंने एक हथौड़ा उठाकर धीरे-धीरे फर्श पर मारना शुरू किया। फिर मैं हथौड़े को फर्श पर मारने के साथ-साथ अपने बाएँ हाथ को आगे पीछे करने लगा। मैंने प्रति सेकंड लगभग तीन गुना तक गति बढ़ा दी। यह देखकर मेरे बच्चे अचम्भित हो गए!

हम परमेश्वर के आश्चर्यकर्मों पर अचम्भित होते हैं। परन्तु क्या आपको लगता है कि इस तरह के आश्चर्यकर्मों से परमेश्वर की सामर्थ्य पूरी तरह से प्रकट होती है? जैसे प्रभु यीशु और पतरस पानी के ऊपर चले थे, वैसे ही परमेश्वर ने इस्राएलियों को भी समुद्र के ऊपर से चला सकते थे। जैसे कि परमेश्वर ने फिलिप्पुस को उड़ा कर ले गए थे, वैसे ही वह इस्राएलियों को भी दूसरे किनारे पर उड़ा कर ले जा सकते थे। जैसे परमेश्वर ने कोरह और अनुयायियों को भूमि विभाजित करके मारे थे या आग के द्वारा, वैसे ही परमेश्वर मिस्रियों को भी मार सकते थे। आश्चर्यकर्म हमें परमेश्वर की सामर्थ्य की झलक दिखाते हैं जो हमें उन पर विश्वास करने में मदद करते हैं। चाहे हम यह मानें या न मानें, परमेश्वर के लिए सब कुछ सम्भव है!

क्या आप परमेश्वर के अद्भुत  आश्चर्यकर्मों को प्राप्त करने की इच्छा रखते हुए प्रार्थना करने वाले बनने की हिम्मत करेंगे, जो परमेश्वर की महिमा का कारण होंगे?

यह मत सोचें कि परमेश्वर केवल आश्चर्यकर्म करने वाले ही हैं; वह परमेश्वर हैं।

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, आश्चर्यकर्मों पर अपना ध्यान केंद्रित न करते हुए, केवल आप पर ही ध्यान केंद्रित करने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!

 

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

Comments

Popular posts from this blog

अद्भुत युक्ति करनेवाला !

गुप्त पाप ?

क्रिएशिओ एक्स निहिलो (Creatio ex nihilo)