परमेश्वर के द्वारा अनसुनी करना !

B.A. Manakala


हे यहोवा, मैं आप ही को पुकारता हूँ; हे मेरी चट्टान, मेरी अनसुनी न कीजिए, ऐसा न हो कि आपके चुप रहने से मैं उनके समान बन जाऊँ जो क़ब्र में चले जाते हैं। भजन 28:1

क्या! क्या परमेश्वर कभी भी अनसुनी करते हैं? व्यर्थ की बात जैसी लगती है! यदि कोई व्यक्ति हमारे कुछ पूछने पर उत्तर नहीं देता है, तो हम समझ सकते हैं कि वह व्यक्ति बहरा है। हम कई कारणों से परमेश्वर को सुन नहीं सकते होंगे जैसे:

1. यदि जो भी आप प्रार्थना में माँगते हैं वो परमेश्वर की परिभाषा के अनुसार "उचित" नहीं है (भजन 84:11)

2. परमेश्वर आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं कि आप खरी चाल चलें (84:11)

3. अभी समय नहीं हुआ है

4. आप विश्वास में और अधिक बढ़ें।

यिर्म 33:3 कहता है, "मुझ से प्रार्थना कर और मैं तेरी सुनूँगा …।"

परमेश्वर का "अनसुनी" करना हमारे सुनने से भी अधिक सामर्थी होता है!

प्रार्थना:
प्यारे प्रभु जी, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ क्योंकि जब भी मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ तो आप सुन कर उत्तर देते हैं। आमीन!


 

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

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