परमेश्वर की उपहास और निन्दा करते हैं ?
हे परमेश्वर, द्रोही कब तक उपहास करता रहेगा? क्या शत्रु तेरे नाम की निन्दा सदा करता रहेगा? भजन 74:10
किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचें जो आपके सामने आपकी बहुत तारीफ करता है, लेकिन जब भी उसे मौका मिलता है तो वह आपके बारे में गपशप भी करता है। ऐसी तारीफों का कोई मूल्य नहीं होता है।
हम शायद कभी भी जानबूझकर परमेश्वर की निन्दा नहीं करते हैं। परन्तु जब हम पवित्र शास्त्र (बाइबल) में देखें तो हमें पता चलेगा कि किन अलग-अलग तरीकों से हम परमेश्वर की निन्दा करते हैं।
ये उनमें से दो प्रकार हो सकते हैं:
1) परमेश्वर का हमारे होंठों से ही आदर करना, जबकि हमारे हृदय उनसे बहुत दूर हैं (यशा 29:13);
2) व्यवस्था का उल्लंघन करके परमेश्वर का अनादर करना (रोमि 2:23)।
हम सभी के जीवन में गुप्त और सार्वजनिक, ये दोनों भाग होते हैं; दोहरा जीवन न जीते हुए गुप्त और सार्वजनिक जीवन से परमेश्वर का आदर करना बहुत महत्वपूर्ण है।
परमेश्वर का वास्तव में आदर करने के लिए मैं कौन से सुधारात्मक उपाय करता हूँ?
हमारे होंठों से परमेश्वर का आदर करना बहुत ही आसान है; परन्तु परमेश्वर हमारे हृदयों को जाँचते रहते हैं।
प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, मेरे जीवन के सभी क्षेत्रों के द्वारा आपको आदर देने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!
(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)
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