पवित्रस्थान को अशुद्ध करना

B. A. Manakala

उन्होंने तेरे पवित्रस्थान को जलाकर भस्म कर डाला है, और तेरे नाम के निवासस्थान को अशुद्ध कर दिया है। भजन 74:7

एक बार जब मैं एक हिन्दू मित्र के साथ कहीं गया, तो एक जगह पर मैंने उसे अपने जूते को उतारते हुए देखा। उसके प्रति मेरे सम्मान के कारण मैंने अपने जूते भी उतार दिए। जो लोग भी वहाँ से गुज़र रहे थे, वे सब भी बिना जूतों के थे, क्योंकि उसके पास में एक मन्दिर था। मैंने अपने मित्र की भक्ति के लिए उसे सराहा।

चर्च की इमारतों का विनाश करना और मसीहियों को सताना, इन दोनों बातों को परमेश्वर के पवित्रस्थान को अशुद्ध करने के समान माना जा सकता है, क्योंकि हमारी देह भी परमेश्वर के मन्दिर हैं (1 कुरि 6:19)। जैसे प्रभु यीशु ने किया, वैसे ही मैं भी परमेश्वर से उन्हें क्षमा करने के लिए प्रार्थना करना चाहूँगा, क्योंकि वे इस बारे में अनजान हैं कि वे क्या करते हैं (लूका 23:24)। आखिरकार, हमें इस दुनिया में कई क्लेशों और दुखों का सामना करना पड़ता है (यूहन्ना 16:33)।

परन्तु मेरे पास इस बात का कोई उत्तर नहीं है कि जब हम खुद ही उसको अशुद्ध करते हैं, जिन्हें परमेश्वर के मन्दिर की देखभाल करना चाहिए। यदि मैं मसीह की देह की देखभाल करने में सक्षम नहीं हूँ, या अपनी देह को परमेश्वर के मन्दिर के रूप में स्वस्थ बनाए नहीं रख सकता हूँ, तो क्या मैं परमेश्वर के पवित्रस्थान को अशुद्ध नहीं कर रहा हूँ?

परमेश्वर के पवित्रस्थान को अशुद्ध करने वालों की अज्ञानता को अवश्य क्षमा करें; और यह सुनिश्चित करें कि हम स्वयं भी उसे कभी अशुद्ध न करें।

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, आपके पवित्रस्थान की देखभाल करने के लिए जो कुछ भी मुझसे सम्भव है, वो सब करने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!

 

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

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