मैं परमेश्वर के पास क्यों आता हूँ ?

B. A. Manakala

हे यहोवा, मैं तेरी शरण में आया हूँ, मुझे कभी लज्जित न होने दे। भजन 71:1

लगभग दस वर्ष पूर्व मैं अपना मोबाइल फोन केवल बात करने के लिए ही उपयोग करता था। लेकिन आज मैं अपने मोबाइल फोन को सिर्फ बात करने के अलावा: बाइबल पढ़ने, मेरी प्रार्थना विषयों को देखने, समाचार पढ़ने, सुनने या देखने, मनोरंजन करने, कार चलाते वक्त मार्गनिर्देशन करने, कैलक्यूलेटर (calculator), कैमरा (camera), रिकॉर्डर (recorder), आदि कई अन्य कार्यों के लिए भी उपयोग करता हूँ। संक्षेप में कहें तो, यह मेरे कम्प्यूटर (computer) से भी अधिक कार्य करता है!

यह भजन परमेश्वर को जानने के कई लाभ के बारे में बता रहा है: सुरक्षा, बचाव, निर्लज्जता आदि। हमने सच्चे परमेश्वर को जानने के कुछ लाभ ज़रूर सुने होंगे या प्राप्त भी किए होंगे। जब तक हम एक दिन स्वर्ग नहीं पहुँच जाते, मुझे नहीं लगता कि तब तक हम कभी भी परमेश्वर को जानने के सभी लाभ को वास्तव में समझ सकते हैं। पृथ्वी पर रहते हुए परमेश्वर से प्राप्त किए हुए अस्थायी आशीषों से हम कभी भी संतुष्ट न रहें, बल्कि जो अनन्त है, उस बात पर अपना ध्यान केंद्रित करें।

मैं परमेश्वर के पास क्या प्राप्त करने के लिए जाता हूँ जो दृश्य है, या उसे प्राप्त करने के लिए जो अदृश्य है?

हमारे लिए परमेश्वर का आशीषें बहुत हैं; दुर्भाग्य से हम उनमें से कुछ को ही प्राप्त करना चाहते हैं!

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, जो मैं आपसे माँगना चाहता हूँ, उससे अधिक आप जो कुछ भी मुझे देना चाहते हैं, उसे प्राप्त करने के लिए आपके पास आने में मेरी सहायता कीजिए। आमीन!

 

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

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