प्रेम और आज्ञाकारिता

B. A. Manakala

उसके दासों के वंशज उसके उत्तराधिकारी बन जाएँगे, और जो उसके नाम से प्रेम करते हैं, उसमें वास करेंगे। भजन 69:36

मुझे खाना बनाने में मज़ा नहीं आता है! लेकिन फिर भी मैं रसोई के कामों में मदद करता हूँ और सप्ताह में एक दिन मैं खाना बनाता हूँ क्योंकि मैं अपने परिवार से प्यार करता हूँ और उनके साथ समय बिताना मुझे अच्छा लगता है। मेरी पत्नी और बेटी खाना बनाना पसन्द करते हैं। मुझे वे सारे पकवान खाना अच्छा लगता है जो वे बनाते हैं, और यह उन्हें और अधिक खाना बनाने के लिए प्रेरित करता है! जो समय हम एक साथ बिताते हैं, वो हमें बहुत अच्छा लगता है। परमेश्वर के द्वारा पृथ्वी पर स्थापित किया गया यह रिश्ता कितना धन्य है!

प्रेम और आज्ञाकारिता साथ-साथ चलते हैं। दूसरे शब्दों में, प्रेम की कमी ही अनाज्ञाकारिता का मुख्य कारण है। यदि परमेश्वर और मनुष्यों के साथ हमारा रिश्ता प्रेम से बंधा हुआ है, तो इसके साथ-साथ आनन्द, शान्ति, धीरज, दयालुता, भलाई, विश्वस्तता, नम्रता और संयम, ये भी होंगे (गला 5:22)।

दाऊद उन लोगों के लिए उत्तराधिकार और सुरक्षा की बात करता है जो परमेश्वर के आज्ञाकारी होते हुए उनसे प्रेम करते हैं (भजन 69:36)। यह जाँचना महत्वपूर्ण है कि क्या परमेश्वर और लोगों के लिए हमारा प्रेम बढ़ रहा है। परमेश्वर और दूसरों के लिए आपका प्रेम कैसे बढ़ रहा है?

परमेश्वर के प्रेम में बढ़ते रहना दूसरों को अधिक प्यार और सम्मान करने का सबसे उत्तम तरीका है!

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, आपके और दूसरों के लिए मेरा प्रेम सदा सच्चा होने में मेरी सहायता कीजिए। आमीन!

 

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

अद्भुत युक्ति करनेवाला !

गुप्त पाप ?

क्रिएशिओ एक्स निहिलो (Creatio ex nihilo)