आत्मा प्यासी है
23 September 2020
B. A. Manakala
हे परमेश्वर, तू ही मेरा परमेश्वर है; मैं तुझे यत्न से ढूंढूंगा; सूखी और प्यासी, हाँ, निर्जल भूमि पर मेरा प्राण तेरा प्यासा है, मेरा शरीर तेरा अति अभिलाषी है। भजन 63:1
क्रूस पर रहते हुए प्रभु यीशु के द्वारा कहे कथनों में से एक था 'मैं प्यासा हूँ।' वहाँ आसपास खड़े लोगों ने इसे केवल एक शारीरिक प्यास के रूप में ही समझा होगा; परन्तु उनकी प्यास शायद शारीरिक से बढ़कर थी।
यह स्पष्ट है कि दाऊद एक सूखी भूमि में होने के कारण शारीरिक और आत्मिक दोनों तरह से प्यासा है (भजन 63:1)। जब हम इस पृथ्वी पर रहते हैं तो हम कई चीज़ों के लिए शारीरिक रूप से प्यासे होते हैं; लेकिन हमारी आत्मा को संतुष्ट करना अधिक महत्वपूर्ण है।
एक बार प्रभु यीशु ने स्वयं सामरी स्त्री को जीवन का जल देने की बात की थी, 'जो कोई उस जल में से पीएगा, जो मैं उसे दूँगा, वो अनन्तकाल तक प्यासा न होगा'। केवल यही उसमें अनन्त जीवन के लिए उमण्डने वाला जल का सोता बन सकता है (यूहन्ना 4:13-14)।
पृथ्वी पर रहते समय आप ज़्यादातर किस के लिए प्यासे रहते हैं?
पानी आपकी शारीरिक प्यास को अस्थायी रूप से संतुष्ट करता है; केवल परमेश्वर ही आपकी आत्मिक भूख को संतुष्ट कर सकते हैं!
प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, मेरी आत्मा तृप्त होने के लिए आपसे प्रतिदिन जीवन का जल पीने में मेरी मदद कीजिए। आमीन!
(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)
Amen..
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