स्वर्गीय सेनाओं के परमेश्वर !

B.A. Manakala

हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, हे इस्राएल के परमेश्वर, सब अन्यजातियों को दण्ड देने के लिए जाग! किसी विश्वासघाती-अत्याचारी पर अनुग्रह न कर। भजन 59:5

एक दिन मेरे घर में मैंने एक चींटी को कुछ ले जाते देखा। जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि इसके पीछे ही दूसरी चींटी भी वही चीज़ उठाकर ला रही है। अंत में, इसका स्रोत देखकर मुझे बहुत आश्चर्य हुआ, जहाँ वे हजारों की गिनती में एक विशाल सेना थे!

दाऊद, परमेश्वर को 'हे स्वर्गीय सेनाओं के परमेश्वर यहोवा' के रूप में यहाँ संबोधित कर रहा है, न कि केवल 'हे परमेश्वर'। हो सकता है, एक विशाल सेना के साथ परमेश्वर को देखने के बाद दाऊद अपने शत्रुओं को छोटा-सा महसूस करने लगा हो। (भजन 59:5)

हम अक्सर परमेश्वर पर हमारी छोटी-छोटी ज़रूरतों के लिए ही भरोसा करते हैं, जैसे, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रावधान आदि। आपकी कल्पना से भी बढ़कर, परमेश्वर बड़े-बड़े और महान कार्य कर सकते हैं। परमेश्वर के तुल्य कोई भी नहीं है! (भजन 86:8)

एक बार आपके द्वारा की हुई आखिरी प्रार्थना और अपनी उस प्रार्थना के विषय के बारे में सोचें। आपने परमेश्वर से किस विषय के लिए प्रार्थना की थी?

परमेश्वर को कभी-भी कम महत्व का न समझें और अपने शत्रु को बहुत महत्व भी न दें!

प्रार्थना: प्यारे प्रभु जी, मेरे लिए जो विशाल सेना आपने तैनात की है, उसे देखने के लिए मेरी आँखें खोल दीजिए। आमीन!

(Translated from English to Hindi by S. R. Nagpur)

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